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ऐल्कोहॉल का उपयोग (Uses of alcohols)

 ऐल्कोहॉल का उपयोग (Uses of alcohols)  1. ऐल्कोहॉल में कई पदार्थ घुल जाते हैं इसलिए इसका उपयोग पेंट, वार्निश आदि के विलायक के रूप में किया जाता है।  2. मेथैनॉल ( मेथिल ऐल्कोहॉल ) का क्वथनांक 65°C होता है और यह ज्वलनशील भी है अतः इसका उपयोग पेट्रोल के साथ ईंधन के रूप में भी किया जाता है। 3. एथनॉल, मेथेनॉल की तुलना में कम हानिकारक होता है इसलिए अधिकतर देशों में पेट्रोल के साथ एथनॉल मिलाया जाता है। स्पिरिट लैंप में भी एथनॉल का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। 4. एथनॉल ( एथिल ऐल्कोहॉल ) का हिमांक तथा गलनांक -114°C होता है इसलिए इसका उपयोग कम ताप वाले थर्मामीटर में किया जाता है । यह आसानी से तथा एक सार रूप में फैलने वाला रंगहीन द्रव है। इसमें लाल रंग का रंजक मिलाया जाता है ताकि तापक्रम को आसानी से पढ़ा जा सके।  5. ग्लाइकॉल और ग्लिसरॉल भी एक प्रकार के ऐल्कोहॉल ही हैं। ये ऐल्कोहॉल साबुन, दवाई और कार के रेडिएटर में प्रतिशीतलक (antifreeze) के रूप में उपयोगी हैं।  6. एथनॉल का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में निर्जर्मीकारक (sterilizing agent) के रूप में किया जाता है।

ब्लूटूथ (Bluetooth)

ब्लूटूथ (Bluetooth) ब्लूटूथ एक ऐसी वायरलेस तकनीक है जिसमें कम दूरी पर स्थित उपकरणों के मध्य आवाज़ और डेटा दोनों को स्थानांतरित किया जाता है। इंफ्रारेड के द्वारा केवल दो उपकरणों को आपस में जोड़ा जा सकता है जबकि ब्लूटूथ एक सीमित क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक उस उपकरण से जुड़ने में समर्थ है, जो ब्लूटूथ तकनीक से युक्त है। ब्लूटूथ तकनीक में उपकरणों को जोड़ने से संबंधित कार्यों पर दिशा का कोई प्रभाव नहीं होता है।

यातायात

 यातायात लगभग दो सौ साल पहले, मानव के पास यातायात का सबसे तेज उपलब्ध साधन घोड़ा था। अट्ठारहवीं शताब्दी के अंत में जेम्स वाट द्वारा विकसित वाष्प के इंजन ने यातायात को गति दी। समुद्री यातायातः बड़े और तेज वाष्प के इंजन से चलने वाले जहाजों से माल दूरस्थ तटों तक तेजी से जा सकता था, जिससे व्यापार तेजी से बढ़ा । आज भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः जहाजों पर ही निर्भर है। पारंपरिक जहाजों के अतिरिक्त, हाल के दशकों में कुछ असाधारण सामुद्रिक जहाज भी विकसित किए गए हैं, होवरक्राफ्ट उनमें से एक है। रेलवेः  वाष्प इंजन से चलने वाले जहाजों के कुछ वर्ष बाद रेलवे अस्त्तिव में आयी। रेलों को चलाने के लिए स्टीम इंजन का प्रयोग किया जाता था जो पटरियों पर डिब्बों की एक श्रृंखला को खींचते थे। पहली नियमित यात्री रेल सेवा 1825 में यू.के. में स्टॉकटन और डार्लिंगटन के बीच स्थापित की गई । 1830 के बाद कुछ ही दशकों में सभी विकसित देशों और उसके बाद विकासशील देशों में रेलवे लाइनों का जाल बिछ गया । रेल तेज गति से बड़ी मात्रा में सामान के साथ-साथ यात्रियों को भी लंबी दूरियों तक सहजता से ले जा सकती थी। डीजल इंजन के विकास

कृषि

  कृषि कृषि मानव सभ्यता का आधार है क्योंकि यह जीवन की मूल जरूरतों जैसे भोजन, ईंधन और कपड़ा, को पूरा करती है। खेती का इतिहास तो 10-12 हजार साल से ज्यादा पुराना नहीं है। प्रागैतिहासिक काल में महिलाओं द्वारा खाद्यान्नों की खोज करने से लेकर परंपरागत किस्मों को उगाने और बचाने तक उपज को बढ़ाना और उसकी गुणवत्ता को सुधारना ही मुख्य उद्देश्य रहा औद्योगीकरण से पहले खेती करना एक श्रमसाध्य कार्य था लेकिन यंत्रीकरण के बाद, विशेष रूप से ट्रैक्टर के आने के बाद खेती करना काफी सरल हो गया। संश्लेषित उर्वरकों और कीटनाशकों, चयनित नस्ल की फसलों और यंत्रीकरण ने कृषि को एक नई दिशा दी । उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में कृषि तकनीकों, उपकरणों, सीड स्टॉक में आए परिवर्तन ने उपज को कई गुणा बढ़ा दिया। प्राचीन काल की तुलना में एक परिवर्तन यह आया कि पहले लोग खेती केवल अपने भरण-पोषण के लिए करते थे जबकि अब ऐसा नहीं है। कुदरत जो करिश्मा लाखों सालों में कर पाती थी, अब आनुवंशिक अभियांत्रिकी के जरिए पलक झपकते ही किया जा रहा है। वर्तमान में फसल की उत्पादकता बढ़ाना जितना महत्वपूर्ण है, उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है फसलों की

मात्रक (Unit)

मात्रक (Unit) किसी राशि को मापने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले मानक को 'मात्रक' कहते हैं। यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है    मूल मात्रक  व्युत्पन्न मात्रक मूल मात्रक (Fundamental Unit) मूल राशियों, जैसे- लंबाई, द्रव्यमान, समय तथा विद्युत धारा आदि को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त मात्रक को 'मूल मात्रक' (Fundamental Unit) कहते हैं।  मात्रक पद्धतियाँ (Systems of Units) भौतिक राशियों के मापन में प्रयुक्त 'मात्रकों' के लिये चार पद्धतियाँ हैं-  1. MKS पद्धति,  2. CGS पद्धति,  3. FPS पद्धति,  4. SI पद्धति

10th class physics objective question and answer प्रकाश का अपवर्तन video 4

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10th class physics objective question and answer  प्रकाश का अपवर्तन निम्नलिखित में से कौन किसी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब बना सकती है कांच की समतल पट्टी​ अवतल लेंस​ उत्तल लेंस​ इनमें कोई नहीं किसी माध्यम के अपवर्तनांक का मान होता है​ (Sin I)/(Sin r)​ (Sin r)/(Sin I)​ (Sin i )+( sin r) ​ (Sin I) x (sin r)​ सरल सूक्ष्मदर्शी में किसका उपयोग होता है​ उत्तल लेंस का​ अवतल लेंस का​ उत्तल दर्पण का​ अवतल दर्पण का​ उत्तल लेंस है​ किनारे की अपेक्षा बीच में मोटा होता है​ बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा होता है।​ की मोटाई सभी जगह समान होती है।​ कोई सही नहीं है​ किसी उत्तल लेंस के सापेक्ष कोई वस्तु किस स्थान पर रखी जाए कि उसका वास्तविक, उल्टा तथा बराबर समान आकार का प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके​ लेंस तथा उसके फोकस के बीच​ फोकस पर​ फोकस दूरी से दुगनी दूरी पर​ अनंत पर​ उत्तल लेंस में जब वस्तु फोकस एवं लेंस के बीच रखी जाती है तब कैसा प्रतिबिंब बनता है​ काल्पनिक और सीधा​ काल्पनिक और उल्टा​ वास्तविक और उल्टा​ वास्तविक और सीधा​ यदि वस्तु उत्तल लेंस की फोकस तथा फोकस दूरी की दुगनी दूरी के बीच हो तो प्रतिबिं

प्रकाश संश्लेषण

प्रकाश संश्लेषण हरे पेड़-पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सूर्य की उपस्थिति में घटित होती है ।

विलयन

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आवेश के मौलिक गुण

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आवेश किसे कहते है

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रमन प्रभाव: सर चंद्रशेखर वेंकट रमन

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सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा रमन इफेक्ट ’की खोज करने की स्मृति में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day- NSD) के रूप में मनाया जाता है। वेंकट रमन को उनके इस कार्य के लिये वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वर्ष 1987 में मनाया गया था। सर चंद्रशेखर वेंकट रमन  रमन प्रभाव:  रमन प्रभाव अणुओं द्वारा फोटॉन कणों का लचीला प्रकीर्णन है जो उच्च कंपन या घूर्णी ऊर्जा स्तरों को प्रोत्साहित करते हैं। इसे रमन स्कैटरिंग भी कहा जाता है। सरल शब्दों में यह प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में परिवर्तन है जो प्रकाश की किरणों के अणुओं द्वारा विक्षेपित होने के कारण होता है। जब प्रकाश की एक किरण किसी रासायनिक यौगिक के धूल रहित एवं पारदर्शी नमूने से होकर गुज़रती है तो प्रकाश का एक छोटा हिस्सा आपतित किरण की दिशा से भिन्न अन्य दिशाओं में उभरता है। इस प्रकिर्णित प्रकाश के अधिकांश हिस्से का तरंगदैर्ध्य अपरिवर्तित रहता है। हालांँकि प्रकाश का एक छोटा हिस्सा ऐसा भी होता है जिसका तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से भिन्न होता है और इसकी उपस्थिति र

फाइबर ऑप्टिकल केबल के लाभ (advantage of fibre optical cable)

फाइबर ऑप्टिकल केबल ‌"पूर्ण आंतरिक परावर्तन" के सिद्धांत पर कार्य करता है। फाइबर ऑप्टिकल प्रणाली के उपयोग का निम्नलिखित लाभ है। अति निम्न लाइन क्षती (very low line loss)- पारंपरिक धात्विक तार युक्त केबिल की अपेक्षा फाइबर ऑप्टिकल केबल प्रणाली में संकेत शक्ति की क्षती बहुत कम हो जाती है। क्योंकि फाइबर ऑप्टिकल केबल में कोई धात्विक माध्यम प्रयोग नहीं किया जाता है।और इसके द्वारा प्रकाश संकेतों के गुजरने के लिए प्रतिरोध का मान नगण्य  होता है। चौड़ी आवृत्ति बैंड पर डाटा स्थानांतरण क्षमता (wideband data transferring capacity) - फाइबर ऑप्टिक केबल अनेक मेगाहर्ट्ज आवृत्ति पारस में प्रकाश संकेत (डाटा) को स्थानांतरित करने की क्षमता रखता है। न्यूनतम संचरण विलंब (least proposition delay) - फाइबर ऑप्टिकल केबल के द्वारा प्रकाश संकेतों (डटा) को इनपुट सिरे से आउटपुट सिरे तक पहुंचने में लगने वाला समय नगण्य  होता है क्योंकि संकेत लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं और वह भी नगण्य  विरोध की अवस्था में। सुगम बहूकरण (easy multiplexing) - कई स्रोतों से प्राप्त संकेतो (डाटा) को बिना एक दूसरे में व

विद्युत-चुंबकको के उपयोग

विद्युत चुंबक के उपयोग निम्नलिखित है। 1. विद्युत-घंटियों, ध्वनि-विस्तारक, एवं दूरभाष यंत्र, ट्रांसफार्मर तथा डायनेमो की क्रोध आदि बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। 2. विशालकाय विद्युत चुंबक को का चलनशील क्रेन द्वारा लोहे एवं स्टील की भारी वस्तु जैसे मशीनों, लोहे की चादर के गद्दारों, आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किया जाता है। 3. अस्पतालों में आंख तथा शरीर के अन्य किसी भाग से लोहे तथा स्टील के टुकड़े छर्रे आदि निकालने में इसका उपयोग होता है।

विद्युत चुंबक की प्रबलता को प्रभावित करने वाले कारक

विद्युत चुंबक की प्रबलता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं। 1. परिनालिका में प्रवाहित विद्युत धारा की प्रबलता धारा बढ़ाने पर विद्युत चुंबक की प्रबलता बढ़ती है। 2. परिनालिका की प्रति एकांक लंबाई में तार के फेरे की संख्या परिनालिका में प्रति एकांक लंबाई में तारों के जितने अधिक फेरे होते हैं विद्युत चुंबक की प्रबलता उतनी ही अधिक होती है। 3. परिनालिका में प्रयुक्त क्रोड का पदार्थ। क्रोड के पदार्थ की चुंबकशीलता जितनी अधिक होती है विद्युत चुंबक की प्रबलता भी उतनी ही अधिक होता है।

विचुम्बकन

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किसी चुंबकीय पदार्थ के चुंबकत्व को नष्ट करने की प्रक्रिया विचुम्बकन कहलाती है यदि किसी चुंबक को हथौड़े से पीटा जाए अथवा उसे उसके क्यूरी ताप पर गर्म करें तो पदार्थ का चुंबकत्व पूर्णतः नष्ट हो जाता है। क्यूरी ताप किसी भी पदार्थ का क्यूरी ताप वह ताप है जिसके नीचे पदार्थ लौह चुंबकीय तथा उसके ऊपर अनुचुंबकीय होता है।

आदिश राशि (Scalar Quantity) एवं सदिश राशि (Vector Quantity)

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अदिश राशि(Scalar Quantity) किसे कहते हैं? 👉वैसी भौतिक राशि जिसमें केवल परिणाम होता है दिशा नहीं उसे अदिश राशि कहा जाता है जैसे द्रव्यमान, चाल, आयतन, कार्य, समय, ऊर्जा आदि सदिश राशि (Vector Quantity) किसे कहते हैं? 👉वैसी भौतिक राशि जिसमें परिणाम के साथ-साथ दिशा भी रहती है और जो योग के निश्चित नियमों के अनुसार जोड़ी जाती है उन्हें सदिश राशि कहते हैं जैसे:- वेग, विस्थापन, बल, त्वरण आदि नोट विद्युत धारा ताप दाब ये सभी आदिश राशि हैं। दूरी (Distance) किसे कहते हैं? 👉किसी दिए गए समय अंतराल में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लंबाई को दूरी कहते हैं यह एक अदिश राशि है ये सदैव धनात्मक (+v) होती है। विस्थापन (Displacement)  किसे कहते हैं? 👉एक निश्चित दिशा में दो बिंदुओं के बीच की लंबवत (न्यूनतम) दूरी को विस्थापन कहते हैं। यह सदिश राशि है इसका S.I. मात्रक मीटर है। चाल (Speed) किसे कहते हैं? 👉 किसी वस्तु द्वारा प्रति सेकंड तय की गई दूरी को चाल कहते हैं चाल बराबर दूरी/समय  होता है   यह एक अदिश राशि है इसका S.I. मात्रक मीटर प्रति सेकंड  है। वेग ( velocity)  किसे कहते हैं?

विद्युत क्षेत्र तथा उसकी तीव्रता (electric field and its intensity)

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electric field and its intensity  विद्युत क्षेत्र (Electric field) 👉किसी विद्युत आवेश अथवा आवेशों के समुदाय के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें कोई अन्य आवेश एक विद्युत बल का अनुभव करता है विद्युत क्षेत्र कहलाता है कई आवशों की उपस्थिति से उन सबके विद्युत क्षेत्र परस्पर अध्यारोपित हो जाते हैं। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (Electric field intensity) 👉विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर रखे धान परीक्षण आवेश पर लगने वाले बल तथा धन परीक्षण आवेश के परिणाम की निष्पत्ति को उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा वही होती है जो धन परीक्षा आवेश पर लगने वाले बल की दिशा होती है विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की मात्रक न्यूटन प्रति कूलाॅम (N/C) होता है। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता  की विमीय सूत्र  धनावेश पर बल की दिशा विद्युत क्षेत्र की दिशा के अनुदेश तथा ऋणावेश पर बल की दिशा विद्युत क्षेत्र के दिशा के विपरीत होती है।

प्रतिबिंब (image) किसे कहते हैं? समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब की विशेषताएं।

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जब किसी दर्पण या आईने के सामने कोई वस्तु रखी जाती है तब उसका प्रतिबिंब (image) दिखाई पड़ता है।वस्तु के विभिन्न बिंदुओं से प्रकाश की किरणें दर्पण पर पड़ती है परिवर्तन के नियम का पालन करती हुई परिवर्तित होती है। यह परिवर्तित किरणें या तो किसी बिंदु पर मिलती है या फिर किसी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है। reflection of light mirror image  प्रतिबिंब(image):- 👉 किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है, उसे उस बिंदु स्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं। प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं वास्तविक प्रतिबिंब (real image) आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब (virtual image) वास्तविक प्रतिबिंब (real image) 👉किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है उसे उस बिंदु स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। अतः वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उल्टा होता है। आभासी प्रतिबिंब (virtual image) 👉किसी बिंदु स्रोत से आती प

विद्युत बल तथा गुरुत्वाकर्षण बल में तुलना (comparison between electric force and gravitational force)

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विद्युत बल तथा गुरुत्वाकर्षण बल में तुलना (comparison between electric force and gravitational force) विद्युत बल तथा गुरुत्वाकर्षण बल दोनों एक ही नियम के आधार पर कार्य करते हैं एवं दोनों ही निर्वात में क्रियाशील रहते हैं इन दोनों दलों के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित है। विद्युत बल आकर्षणात्मक तथा प्रतिकर्षणात्मक दोनों होता है जबकि गुरुत्वाकर्षण बल केवल आकर्षणात्मक होता है इससे ज्ञात होता है कि आवेश दो प्रकार के होते हैं जबकि द्रव्यमान केवल एक ही प्रकार का होता है विद्युत बल दोनों आवेशों के बीच के माध्यम पर निर्भर करता है जबकि गुरुत्वाकर्षण बल दोनों द्रव्यमान के बीच के माध्यम पर निर्भर नहीं होता है। विद्युत बल , गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अत्यंत प्रबल होता है।

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