कारक - कारक के परिभाषा,कारक के भेद, कारक के भेद उदाहरण सहित
कारक :-
कारक शब्द का संबंध 'कृ' धातु से है। इसका अर्थ है करने वाला।
👉कारक उस 'संज्ञा सर्वनाम आदि को कहते हैं जो वाक्य के अन्य शब्दों से या क्रिया से संबंध जोड़ता है।'
जैसे:- 1. पेड़ पर कौवा बैठा है।
2. गीता पुस्तक पढ़ती है।
3. कृष्ण ने कंस को मारा।
विभक्ति :-
👉कारक को प्रकट करने के लिए जो चिन्ह लगाया जाता है, उसे विभक्ति कहते हैं। इसे परसर्ग भी कहते हैं।
कारक के भेद :-
👉हिंदी में आठ कारक :-
1. कर्ता कारक :-
👉कर्ता का अर्थ है करनेवाला, जिसके द्वारा कोई क्रिया की जाती है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। इसमें 'ने' विभक्ति लगती है तथा कभी कभी नहीं भी लगती है।
2. कर्म कारक :-
👉जिस प्रक्रिया का फल पड़े, उसे कर्मकारक कहत हैं।
3. करण कारक :-
👉कर्ता जिस साधन से काम करता है, उस साधन को करण कारक कहते हैं। करण का शाब्दिक अर्थ भी साधन है। करण कारक के चिन्ह होते हैं - 'से' के द्वारा।
4. संप्रदाय कारक :-
👉जिसके लिए कुछ किया जाय या जिसको कुछ दिया जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। इससे लेने - देने का बोध होता है। इसके विभक्ति चिन्ह 'को', 'के लिए' है।
5. अपादान कारक :-
👉संज्ञा के जिस रुप से किसी वस्तु के अलग होने का बोध हो, उसे अपादान कारक होते हैं। इसकी विभक्ति 'से' है।
6. अधिकरण कारक :-
👉क्रिया के आधार को सूचित करने वाले शब्द अधिकरण कारक कहलाते हैं। अधिकरण का अर्थ है - आधार अथवा आश्रय। 'में' , 'पर' इसके विभक्ति हैं।
7. सम्बन्धकारक :-
👉संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से वस्तु या व्यक्ति के साथ संबंध या लगाव का बोध हो उसे संबंधकारक कहते हैं। 'का', 'की', 'के', रा, री, रे, इसकी विभक्ति है।
8. सम्बोधन कारक :-
👉संबोधन का अर्थ है - पुकारना या चेताना। संज्ञा के जिस रुप से पुकारने या संकेत करना सूचित हो, उसे सम्बोधनकारक कहते हैं। इसके चीन्ह है - हे, अरे, ओ।
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