अव्यय (अविकारी) - अव्यय के परिभाषा , अव्यय के भेद, अव्यय के भेद उदाहरण सहित
अव्यय (अविकारी) :-
👉जिस शब्द के रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, इत्यादि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उसे अव्यय या अविकारी कहते हैं।
अव्यय के चार भेद होते हैं :-
1. क्रियाविशेषण :-
👉जो शब्द क्रिया की विशेषता बताये,उसे क्रियाविशेषण कहते हैं।
क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं:-
🌟(क) स्थानवाचक :-
👉जो क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान की स्थिति एवं दिशा का बोध कराये उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण करते हैं।
🌟(ख) कालवाचक :-
👉जो शब्द क्रिया के काल (समय) संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
🌟(ग) रीतिवाचक :-
👉जो शब्द क्रिया में रीति, ढंग, विधि का बोध कराता है, उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
🌟(घ) परिमाणवाचक :-
👉जिस क्रिया विशेषण से क्रिया का न्यूनता, अधिकता, तुलना, मात्रा, आदि का बोध हो, उसे परिणाम वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
2. सम्बन्धबोधक अव्यय :-
👉जो अव्यय शब्द संज्ञा सर्वनाम के साथ आकर उसका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से बनता है, उसे सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं।
3. समुच्चयबोधक अव्यय :-
👉दो शब्दों, दो उपवाक्यो अथवा दो वाक्यों की जोड़नेवाले शब्दों को समुच्चयबोधक अथवा योजक कहते हैं।
योजक के तीन भेद हैं :-
🌟(क) संयोजक :-
👉जो जोड़ने के अर्थ में आए, उन्हें संयोजक कहते हैं।
🌟(ख) वियोजक (विरोधदर्शक) :-
👉यह संयोजक का उल्टा है और दो वाक्यों के विरोध दर्शाते हैं।
🌟(ग) विकल्प सूचक :-
👉विकल्प सूचक शब्द दो शब्द या वाक्य में विकल्प बताते हैं।
4. विस्मयादिबोधक अव्यय :-
👉जिस अब्यवों से बोलने वाले या लिखने वाले के मन के विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा, आदि भाव प्रकट हो, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
इसका प्रयोग वाक्य के आरंभ में किया जाता है और इन शब्दों के साथ विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) का प्रयोग अवश्य किया जाता है।
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