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पर्यायवाची शब्द Hindi grammar

  पर्यायवाची शब्द  पर्यायवाची शब्द को ‘प्रतिशब्द’ भी कहते है। अर्थ की दृष्टि से शब्दों के अनेक रूप है; जैसे- पर्यायवाची शब्द, युग्म शब्द, एकार्थक शब्द, विपरीतार्थक शब्द, समोच्चरितप्राय शब्द इत्यादि। (अ) - से शुरू होने वाले शब्दों का पर्यायवाची शब्द  अहंकार – दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान। अहंकारी – गर्वित, अकडू, मगरूर, अकड़बाज, गर्वीला, आत्माभिमानी, ठस्सेबाज, घमंडी। अतिथि – मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना। अर्थ – धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा। अश्व – हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, हरि, तुरग, वाजि, सैन्धव। अंधकार – तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा, तमस, अंधियारा। अंग – अंश, अवयव, हिस्सा, संघटक, घटक, उपादान, खंड, भाग, टुकड़ा, शरीर, तन, देह, गात, गात्र। अभिमान – अस्मिता, अहं, अहंकार, अहंभाव, अहम्मन्यता, आत्मश्लाघा, गर्व, घमंड, दर्प, दंभ, मद, मान, मिथ्याभिमान। अरण्य – जंगल, वन, कानन, अटवी, कान्तार, विपिन। अनी – कटक, दल, सेना, फौज, चमू, अनीकिनी। अनादर – अपमान, अवज्ञा, अवहेलना, अवमानना, परिभव, तिरस्कार। अंकुश – नियंत्रण, पाबंदी, रोक, अंकुसी, दबाव, गजांकुश, हाथी को नियंत्रित करने क

काल - काल के परिभाषा , काल के भेद, काल के भेद उदाहरण सहित

काल :-  👉काल क्रिया का वह रूप है, जिससे समय का बोध होता है। जैसे:- संजय विद्यालय जाता है।          संजय विद्यालय  गया।          संजय विद्यालय जाएगा। ऊपर के वाक्यों से हमें क्रिया के होने के समय का पता चलता है। काल के तीन भेद होते हैं :- 🌟1. वर्तमान काल 🌟2. भूतकाल  🌟3. भविष्य काल 1. वर्तमान काल :- 👉वर्तमान समय में किसी क्रिया के होने या करने का बोध हो उसे वर्तमान कल कहते हैं । जैसे:- राम पढता है।          राम पढ रहा है। वर्तमान काल के तीन भेद होते हैं :- (क) सामान्यय वर्तमान :- 👉किरिया के जिस रुप से उसके वर्तमान काल में सामान्य रूप से होने का बोध हो, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं। जैसे:- गीता पुस्तक पढ़ती है।          बच्चा दूध पीता है। (ख) तत्कालीन वर्तमान :- 👉जिससे क्रिया के वर्तमान समय में लगातार होने की जानकारी मिले, उसे तत्कालीन वर्तमान करते हैं। जैसे:- रजनीश पुस्तक पढ़ रहा है।         सविता साइकिल चला रही है। (ग) संदिग्ध वर्तमान :- 👉क्रिया के जिस रुप से वर्तमान काल में क्रिया के होने का अनुमान या संदेश हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं। जैसे:- रोहित पड़ता होगा।          स

लिंग - लिंग के परिभाषा , लिंग के भेद, लिंग के भेद उदाहरण सहित

लिंग :- 👉लिंग का अर्थ है चिन्ह। शब्द के जिस रुप से पुरुष अथवा स्त्री जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। जैसे:- (क) चाचा - चाची (ख) राजा - रानी (ग) भाई - बहन (घ) अध्यापक - अध्यापिका यदि प्रत्येक का पहला शब्द नर का नाम है। प्रत्येक जोड़का दूसरा शब्द मादा का नाम है।            हिंदी में सारे पदार्थ वाचक शब्द चाहे जड़ हो या चेतन स्त्रीलिंग और पुल्लिंग इन दो लिंगों में विभक्त है :- हिंदी में लिंग के दो भेद हैं :- 🌟1. पुलिंग 🌟2. स्त्रीलिंग 1. पुलिंग  :- 👉जो संज्ञा शब्द पुरुष जाति का बोध कराए, उसे पुलिंग कहते हैं। जैसे:- लड़का, पिताजी, वृक्ष, शेर, पर्वत, पंडित, आदि। 2. स्त्रीलिंग :- 👉जो संज्ञा शब्द स्त्री जाति का बोध कराए ,उसे स्त्रीलिंग करते हैं। जैसे:- लड़की, शिक्षिका, शेरनी, नदी, पंडिताइन, आदि।

क्रिया - क्रिया के परिभाषा , क्रिया के भेद, क्रिया के भेद उदाहरण सहित

क्रिया :-  👉परिभाषा -  जिस शब्द से किसी काम के होने या करने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे:- खाना, पढ़ना, हंसना, रोना, नाचना, खेलना, आदि। उदाहरण :- (क) हवा बह रही है। (ख) वर्षा हो रही है। (ग) चंदन क्रिकेट खेलता है। 👉 स्मरण रखें : जो काम करने का बोध करता है। वह शब्द क्रिया कहलाता है। धातु :-   👉जिस मूल शब्द से क्रिया का निर्माण होता है, उसे धातु कहते हैं। धातु में 'ना' जोड़कर क्रिया बनायी जाती है। जैसे: - पढ़+ना =पढ़ना।      आ+ना =आना। क्रिया के भेद :- 👉कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं :- 🌟1. अकर्मक क्रिया 🌟2. सकर्मक क्रिया 1. अकर्मक क्रिया :- 👉जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर ही पड़े, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया का कोई कर्म (कारक) नहीं होता, इसलिए इसे अकर्मक कहा जाता है। जैसे:-  (क) श्याम रोता है। (ख) आशुतोष दौड़ता है। 2. सकर्मक क्रिया :-  👉जिस क्रिया में कर्म का फल कर्ता पर ना पढ़कर किसी दूसरी जगह पड़ता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रियाओं के साथ कर्म (कारक) रहता है या उसके साथ रहने की संभावना करता है। जैसे:- (क) मोहन पुस्त

कारक - कारक के परिभाषा,कारक के भेद, कारक के भेद उदाहरण सहित

कारक :-  कारक शब्द का संबंध 'कृ' धातु से है। इसका अर्थ है करने वाला। 👉कारक उस 'संज्ञा सर्वनाम आदि को कहते हैं जो वाक्य के अन्य शब्दों से या क्रिया से संबंध जोड़ता है।' जैसे:- 1. पेड़ पर कौवा बैठा है।          2. गीता पुस्तक पढ़ती है।          3. कृष्ण ने कंस को मारा। यहाॅ बैठना और पढ़ना और पढ़ना क्रिया का संबंध कृष्ण, पेड़, गीता से है। जो संज्ञा (कर्ता) है। विभक्ति :-  👉कारक को प्रकट करने के लिए जो चिन्ह लगाया जाता है, उसे विभक्ति कहते हैं। इसे परसर्ग भी कहते हैं। कारक के भेद :- 👉हिंदी में आठ कारक :- 1. कर्ता कारक :- 👉कर्ता का अर्थ है करनेवाला, जिसके द्वारा कोई क्रिया की जाती है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। इसमें 'ने' विभक्ति लगती है तथा कभी कभी नहीं भी लगती है। जैसे:- (क) मोहन जाता है।          (ख) कृष्णा ने  गाया।          (ग) मैंने   प्यार किया। 2. कर्म कारक :-  👉जिस प्रक्रिया का फल पड़े, उसे कर्मकारक कहत हैं। जैसे:- (क) वह सूर्य  को देखता है।          (ख) मोहन किताब पढ़ता है।          (ख) अर्जुन ने जयद्रथ को मारा। 3. करण कारक :-  👉कर्ता जिस साधन से

वचन - वचन के परिभाषा,वचन के भेद एवं उदाहरण

वचन किसे कहते हैं वचन :-संज्ञा सर्वनाम विशेषण और क्रिया के जिस रुप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते हैं। 👉वचन का अर्थ 'संख्यावचन' है। व्याकरण में इसका तात्पर्य संख्या से है। अर्थात् शब्दों के संख्या बोधक भिकारी रूप का नाम 'वचन' है। जैसे:- घोड़ा-घोड़े, महिला-महिलाएं, आदि। वचन के दो भेद हैं :- 1. एकवचन 2. बहुवचन 1. एकवचन :- 👉शब्द के जिस रूप से पदार्थ, व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एक वचन कहते हैं। जैसे:- चिड़िया, लड़का, कुत्ता, घोड़ा, आदि। 2. बहुवचन :- 👉शब्द के जिस रूप से एक से अधिक पदार्थों या व्यक्ति का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे:- लड़के, घोड़े, कुत्ते, कपड़े, इत्यादि। वचन की पहचान दो तरह से की जाती है :- 🌟(१) संज्ञा, सर्वनाम से 🌟(२) क्रिया से (२) संज्ञा, सर्वनाम से वचन की पहचान :- (क) वह पढ़ रहा है।                          वे पढ़ रहे हैं। (ख) मैं जा रहा था।                          हम जा रहे थे। (२) क्रिया से वचन की पहचान :- (क) बालक पड़ रहा है।          बालक पढ़ रहे हैं।    (ख) मोर नाचेगा।                  मोर नाचेंगे।    वचन संबंधी विशेष निर्देश एवं

विशेषण - विशेषण की परिभाषा, विशेषण के भेद उदाहरण सहित

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विशेषण :-  👉जो शब्द संज्ञा अथव सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, विशेषण कहलाते हैं। जैसे:- (क) काली गाय का दूध मीठा है।          (ख) पेड़ बहुत ऊंचा है। 👉नोट :- विशेषण संज्ञा की विशेषता प्रकट करते हैं और साथ ही सर्वनाम की। जैसे:- वह सुंदर है। इस वाक्य में सुंदर शब्द वह सर्वनाम की विशेषता बताता है। विशेषण के कार्य :- 🌟1. विशेषण से संख्या का निर्माण होता है। 🌟2. विशेषण से किसी की हीनता भी प्रकट होता है। 🌟3. विशेषण परिमाण या मात्रा बदलने का काम भी करता है। विशेषण के चार भेद :- 1. गुणवाचक विशेषण 2. संख्यावाचक विशेषण 3. परिमाणवाचक विशेषण 4. सर्वनामिक विशेषण 1. गुणवाचक विशेषण :- 👉जिस विशेषण शब्द से गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, आदि का बोध हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे:- गुण:- अच्छा, सुंदर, विद्वान्, बलवान, दानी। दोष: - पापी, लालची, बुरा, क्रूर। रंग:- सफेद, लाल, हरा, नीला। आकार:- गोल, मोटा, नुकीला, लंबा, नाटा। अवस्था:- बुढ़ा, स्वस्थ, बीमार, जवान। 2. संख्यावाचक विशेषण :- 👉जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता प्रकट करें, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे:- ए

सर्वनाम- सर्वनाम के परिभाषा,सर्वनाम के भेद,उदाहरण

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सर्वनाम सर्वनाम :- 👉 परिभाषा :- संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। अर्थात् सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर होता है। जैसे:- सुनील परीक्षा नहीं दे सका, क्योंकि वह बीमार हो गया था। हिंदी में ग्यारह सर्वनाम है :- मैं, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या।  इन्हीं सर्वनामो से और भी सर्वनाम बनते हैं। सर्वनाम के छह भेद होते हैं। 1.  पुरुषवाक च   सर्वनाम:- 👉 जिस सर्वनाम से किसी (वक्ता) कहनेवाला, (श्रोता) सुनने-वाला और जिसके विषय  में बातचीत की जा रही है का बोध हो, वह पुरुषवाचक सर्वनाम है। जैसे:- मैंने तुम्हें उसकी कलम दी। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं :- (क) उत्तम पुरुष :-  👉 कहनेवाला आपने लिए जिस सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे:- मैं, हम। (ख) मध्यम पुरुष :-  👉 जिस सर्वनाम को बोलनेवाला सुननेवाले के लिए प्रयोग करता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे:- तुम, तू, आप। (ग) अन्य पुरुष :-  👉 जिसके विषय में बात की जाती है, उसेे अन्य पुरुष कहतेे हैं। जैसे:- क्या, कौन, कुछ, जो, यह, इत्यादि। 2. निश्चयवाचक सर्वनाम :- 👉 जो सर्वनाम न

संज्ञा - संज्ञा के परिभाषा,संज्ञा के भेद, उदाहरण

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संज्ञा :- आज संज्ञा के बारे में जानेंगे - संज्ञा हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक है। संज्ञा शब्द से संसार के समस्त वास्तु ,प्राणी, स्थान, भाव का बोध होता है 👉 परिभाषा :- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। उदाहरण :- प्राणियों के नाम :- मोर, नारी, मनुष्य, तुलसीदास वस्तुओं का नाम :- पुस्तक, कुर्सी, साइकिल, कंप्यूटर स्थानों के नाम :- सासाराम, पटना, आगरा, कोलकाता संज्ञा के भेद :- संज्ञा के पांच भेद होते हैं - 1. व्यक्तिवाचक 2. जातिवाचक 3. भाववाचक 4. समूहवाचक 5. द्रव्यवाचक 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- 👉 जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु,अथवा स्थान आदि के नाम का बोध करता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- रामायण महाकाव्य है। अतुल पड़ता है। 2. जातिवाचक संज्ञा:- 👉 जो संज्ञा किसी प्राणी, वस्तु अथवा पदार्थ की पूरी जाति का बोध करता हो, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- गाय दूध देती हैं। कबूतर उड़ रहे हैं। 3. भाववाचक संज्ञा :- 👉 जिस संज्ञा से किसी पदार्थ का गुण-दोष, स्वभाव, भाव, कर्म या अवस्था आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:-

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