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the sentence

The sentence  A group of words like which makes completes sense is called a sentence.  kind of sentences  sentences are for kinds  Declarative or assertive sentence Interrogative sentence  Imperative sentences Exclamatory sentences

स्वदेशी 10th class hindi question and answer

 स्वदेशी 10th class hindi  इस पोस्ट मे हम लोग 10 class हिन्दी की महतपूर्ण अध्याय स्वदेशी का प्रश्न और ऊतर करने वाले है जिस से अक्सर ही परिक्षा मे सवाल पूछे जाते है आप इन सभी प्रश्न और ऊतर को याद कर ले ये आपके exam मे मदद करेगा  कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।  उत्तर -- वस्तुत: किसी भी गद्य या पद्य का शीर्षक वह धुरी होता है जिसके चारों तरफ कहानी या भाव घूमते रहता है। रचनाकार शीर्षक देते समय उसके कथानक, कथावस्तु, कथ्य को ध्यान में रखकर ही देता है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक 'स्वदेशी' अपने आप में उपयुक्त है। पराधीन भारत की दुर्दशा और लोगों की सोच को ध्यान में रखकर इस शीर्षक को रखा गया है। अंग्रेजी वस्तुओं को फैशन मानकर नये समाज की परिकल्पना करते हैं। रहन-सहन खान-पान आदि सभी पाश्चात्य देशों का ही अनुकरण कर रहे हैं। स्वदेशी वस्तुओं को तुच्छ मानते हैं। हिन्दु, मुस्लमान, ईसाई आदि सभी विदेशी वस्तुओं पर ही भरोसा रखते हैं। उन्हें अपनी संस्कृति विरोधाभास लाती है। बाजार में विदेशी वस्तुएँ ही नजर आती _है। भारतीय कहने-कहलाने पर अपने आप को हेय की दृष्टि से देखते हैं। सर्वत्र पाश्चात्

पर्यायवाची शब्द Hindi grammar

  पर्यायवाची शब्द  पर्यायवाची शब्द को ‘प्रतिशब्द’ भी कहते है। अर्थ की दृष्टि से शब्दों के अनेक रूप है; जैसे- पर्यायवाची शब्द, युग्म शब्द, एकार्थक शब्द, विपरीतार्थक शब्द, समोच्चरितप्राय शब्द इत्यादि। (अ) - से शुरू होने वाले शब्दों का पर्यायवाची शब्द  अहंकार – दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान। अहंकारी – गर्वित, अकडू, मगरूर, अकड़बाज, गर्वीला, आत्माभिमानी, ठस्सेबाज, घमंडी। अतिथि – मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना। अर्थ – धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा। अश्व – हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, हरि, तुरग, वाजि, सैन्धव। अंधकार – तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा, तमस, अंधियारा। अंग – अंश, अवयव, हिस्सा, संघटक, घटक, उपादान, खंड, भाग, टुकड़ा, शरीर, तन, देह, गात, गात्र। अभिमान – अस्मिता, अहं, अहंकार, अहंभाव, अहम्मन्यता, आत्मश्लाघा, गर्व, घमंड, दर्प, दंभ, मद, मान, मिथ्याभिमान। अरण्य – जंगल, वन, कानन, अटवी, कान्तार, विपिन। अनी – कटक, दल, सेना, फौज, चमू, अनीकिनी। अनादर – अपमान, अवज्ञा, अवहेलना, अवमानना, परिभव, तिरस्कार। अंकुश – नियंत्रण, पाबंदी, रोक, अंकुसी, दबाव, गजांकुश, हाथी को नियंत्रित करने क

महापाषाण काल

महापाषाण काल  नवपाषाण युग की समाप्ति के बाद दक्षिण में जिस संस्कृति का उदय हुआ, उसे महापाषाण काल कहा जाता है। पत्थर की कब्रों को 'महापाषाण' कहा जाता था। इन कब्रों में मानवों को दफनाया जाता था। महापाषाण काल से संबद्ध लोग साधारणतः पहाड़ों की ढलान पर रहते थे। दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्वी भारत तथा कश्मीर में यह प्रथा प्रचलित थी। यहाँ की कब्रों में लोहे के औज़ार, घोड़े के कंकाल तथा पत्थर एवं सोने के गहने भी प्राप्त हुए हैं। महापाषाण काल में आंशिक शवाधान की पद्धति भी प्रचलित थी जिसके तहत शवों को जंगली जानवरों के खाने के लिये छोड़ दिया जाता था। ब्रह्मगिरि, आदिचन्नलूर, मास्की, चिंगलपत्तु, नागार्जुनकोंडा आदि इसके प्रमुख शवाधान केंद्र हैं। महापाषाणकालीन लोग धान के अतिरिक्त रागी की खेती भी करते थे। इतिहासकारों ने महापाषाण काल का निर्धारण 1000 ई. पू. से लेकर प्रथम शताब्दी ई. पू. के बीच किया है। 

भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)-

 भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)-  भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपर्पटी में गहराइयों पर तप्त क्षेत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती हैं जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी इस तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने के लिए निकास मार्ग मिल जाता है। इन निकास मार्गों को गरम चश्मा अथवा ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी यह भाप चट्टानों के बीच में फँस जाती है जहाँ इसका दाब अत्यधिक हो जाता है। तप्त स्थलों तक पाइप डालकर इस भाप को बाहर निकाल लिया जाता है। उच्च दाब पर निकली यह भाप विद्युत जनित्र की टरबाइन को घुमाती है जिससे विद्युत उत्पादन करते हैं। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन की लागत अधिक नहीं है परंतु ऐसे बहुत कम क्षेत्र हैं जहाँ व्यापारिक दृष्टिकोण से इस ऊर्जा का दोहन करना व्यावहारिक है। न्यूजीलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित कई विद्युत शक्ति संयंत्र कार्य कर रहे हैं।

ऐल्कोहॉल का उपयोग (Uses of alcohols)

 ऐल्कोहॉल का उपयोग (Uses of alcohols)  1. ऐल्कोहॉल में कई पदार्थ घुल जाते हैं इसलिए इसका उपयोग पेंट, वार्निश आदि के विलायक के रूप में किया जाता है।  2. मेथैनॉल ( मेथिल ऐल्कोहॉल ) का क्वथनांक 65°C होता है और यह ज्वलनशील भी है अतः इसका उपयोग पेट्रोल के साथ ईंधन के रूप में भी किया जाता है। 3. एथनॉल, मेथेनॉल की तुलना में कम हानिकारक होता है इसलिए अधिकतर देशों में पेट्रोल के साथ एथनॉल मिलाया जाता है। स्पिरिट लैंप में भी एथनॉल का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। 4. एथनॉल ( एथिल ऐल्कोहॉल ) का हिमांक तथा गलनांक -114°C होता है इसलिए इसका उपयोग कम ताप वाले थर्मामीटर में किया जाता है । यह आसानी से तथा एक सार रूप में फैलने वाला रंगहीन द्रव है। इसमें लाल रंग का रंजक मिलाया जाता है ताकि तापक्रम को आसानी से पढ़ा जा सके।  5. ग्लाइकॉल और ग्लिसरॉल भी एक प्रकार के ऐल्कोहॉल ही हैं। ये ऐल्कोहॉल साबुन, दवाई और कार के रेडिएटर में प्रतिशीतलक (antifreeze) के रूप में उपयोगी हैं।  6. एथनॉल का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में निर्जर्मीकारक (sterilizing agent) के रूप में किया जाता है।

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC)

 ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC)  UNODC संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत एक कार्यालय है जिसकी स्थापना 1997 में दवा नियंत्रण और अपराध निवारण कार्यालय के रूप में हुई थी। वर्ष 2002 में इसका नाम बदलकर UNODC कर दिया गया। इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है। इसके द्वारा 'वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट' जारी किया जाता है। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ( UNODC ) एक वशेष और महतपूर्ण  संगठन है, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ड्रग्स, अपराध और आतंकवाद से निपटने में मदद करता है ये संगठन ये इस बात के लिए सुनिश्चित करती है की इस तरह के अपराध काम हो । UNODC का मिशन है, " सुरक्षा और न्याय के लिए संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से, सभी लोगों के लिए अधिक से अधिक  मानवीय, समावेशी और समृद्ध संसार की स्थापना करना " है । मतलब ये हुआ की इसका स्थापना,  बढ़ रही ड्रग्स तस्करी और अपराध के निवारण के लिए इसकी स्थापना किया गया था ।  UNODC के कुछ प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं:  सबसे महत्वपूर्ण कार्य ये है की  ड्रग्स की मांग, प्रसार, खरीद- बिक्री, असर, इलाज, सुधार, रोक-थाम और मुक्ति के मुद्दों प

ऑकस (AUKUS)

ऑकस (AUKUS)  यह ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हुआ एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है। इसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिये एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर-वारफेयर, क्वांटम कंप्यूटिंग एवं परमाणु पनडुब्बी निर्माण जैसे क्षेत्रों में खुफिया एवं उन्नत तकनीक आपस में साझा की जाएगी। 

ऑस्ट्रेलिया समूह (AG)

 ऑस्ट्रेलिया समूह (AG)  यह 43 देशों का एक अनौपचारिक फोरम है, जो निर्यात नियंत्रणों में सामंजस्य के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि किसी भी तरह का निर्यात रासायनिक या जैविक हथियारों के विकास को बढ़ावा न दे। जनवरी 2018 में भारत भी इस समूह का सदस्य बना है।

न्याय (Justice)

  न्याय (Justice)  न्याय का संबंध समाज को नैतिक रूप से संचालित करने वाले तौर-तरीकों से है ताकि सभी के हिस्से विकास के समुचित अवसर आ सकें। जे.एस. मिल के अनुसार "न्याय में ऐसा कुछ अंतर्निहित है जिसे करना न सिर्फ सही है और न करना सिर्फ गलत, बल्कि जिस पर बतौर अपने नैतिक अधिकार कोई व्यक्ति विशेष हमेशा दावा जता सकता है।"

शिक्षित बेरोज़गारी (Educated Unemployment)

शिक्षित बेरोज़गारी (Educated Unemployment) जब किसी शिक्षित व्यक्ति को उसकी शिक्षा व दक्षता के अनुरूप रोज़गार नहीं मिल पाता है तो इस स्थिति को शिक्षित बेरोज़गारी कहते हैं। वस्तुतः जब शिक्षितों की संख्या बढ़ रही हो और उसी अनुपात में रोज़गार सृजित न हो रहे हों या शिक्षा बाज़ार की मांग के अनुकूल न हो तो शिक्षित बेरोज़गारी की दशा देखने को मिलती है। भारत में इस किस्म के बेरोज़गारी की चुनौती काफी सघन है।

फाल्कनमार्क संकेतक (Falkenmark Indicator)

 फाल्कनमार्क संकेतक (Falkenmark Indicator)  यह जल संसाधन पर दबाव की स्थिति का आकलन करने हेत उपयोग में लाया जाने वाला एक संकेतक है। यह किसी देश में कुल पीने योग्य जल-संसाधनों की कुल आबादी से तुलना करते हुए उस दबाव को प्रदर्शित करता है जिसे उक्त आबादी जल संसाधनों पर डालती है। इसमें प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की आवश्यकताएँ भी शामिल हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) इसकी स्थापना वर्ष 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी। वर्तमान में यह कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। भ्रष्टाचार की रोकथाम पर संथानम समिति द्वारा इसकी स्थापना की सिफारिश की गई थी। यह एक वैधानिक निकाय नहीं है। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियाँ प्राप्त करता है।

ब्लूटूथ (Bluetooth)

ब्लूटूथ (Bluetooth) ब्लूटूथ एक ऐसी वायरलेस तकनीक है जिसमें कम दूरी पर स्थित उपकरणों के मध्य आवाज़ और डेटा दोनों को स्थानांतरित किया जाता है। इंफ्रारेड के द्वारा केवल दो उपकरणों को आपस में जोड़ा जा सकता है जबकि ब्लूटूथ एक सीमित क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक उस उपकरण से जुड़ने में समर्थ है, जो ब्लूटूथ तकनीक से युक्त है। ब्लूटूथ तकनीक में उपकरणों को जोड़ने से संबंधित कार्यों पर दिशा का कोई प्रभाव नहीं होता है।

जैवभार पिरामिड (Biomass Pyramid)

जैवभार पिरामिड (Biomass Pyramid) किसी जीवित प्राणी में उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों का कुल शुष्क भार उसका जैवभार कहलाता है। अत: जैवभार पिरामिड प्रत्येक पोषण स्तर के जीवों में उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों के कुल शुष्क भार का क्रमानुसार प्रदर्शन है। संख्या पिरामिड की तरह इसका भी प्रदर्शन सीधा या उल्टा हो सकता है।

कोलेजियम प्रणाली (Collegium System)

कोलेजियम प्रणाली (Collegium System)  यह उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण से जुड़ी एक प्रक्रिया है। यह प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति हेतु निर्मित कोलेजियम में कुल 5 सदस्य होते हैं। इनमें भारत के मुख्य न्यायाधीश व चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये कोलेजियम की आम सहमति आवश्यक है।

जलवायु परिवर्तन

  जलवायु परिवर्तन भारत संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के रूपरेखा सम्मेलन का सदस्य देश है जिसका उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों को वायुमण्डल के एक स्तर पर केंद्रित करना है ताकि मनुष्य जलवायु प्रणाली में खतरनाक हस्तक्षेप न कर सके। सम्मेलन में विभिन्न पक्षों को उसके सचिवालय के माध्यम से निम्न प्रमुख सूचनाएं देने को कहा गया है:  (i) मॉन्ट्रियल समझौते से नियंत्रित होने वाली गैसों के उत्सर्जन के स्रोतों को और सभी ग्रीन हाउस गैसों के धीरे धीरे कम होने की जहां तक क्षमता अनुमति देती है उसकी राष्ट्रीय सूची । समझौते को लागू करने के उपायों का विवरण। (ii) कोई अन्य सूचना जिसे पार्टी समझौते में उद्देश्यों को हासिल करने के लिए उचित समझती है। पर्यावरण मंत्रालय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए नोडल एजेंसी है। भारत ने 2002 में क्योटो समझौते को स्वीकार किया और इसका एक उद्देश्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप स्वच्छ विकास लागू करना है। समझौते के अनुसार संक्रांतिकाल के दौरान की अर्थव्यवस्थाओं सहित विकसित देश ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 2008-12 के दौरान 1990 के स्तरों से औसतन 5.2 प्रतिशत कम करने के लिए प्र

इलैक्ट्रॉनिक मेल e-mail

  इलैक्ट्रॉनिक मेल इलैक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रूप है ई-मेल । ई-मेल के तीन आवश्यक घटक हैं– निजी कंप्यूटर, टेलिफोन और माडेम संयोजक । ई-मेल के अंतर्गत कम्प्यूटर में एकत्र सूचनाएँ, आँकड़े, जानकारियाँ एवं तस्वीरें आदि अपने गंतव्य ई-मेल बॉक्स तक टेलीफोन लाइनों द्वारा भेजी जाती हैं। अन्य सूचनाओं की अपेक्षा ई-मेल की सेवा बहुत अधिक अच्छी हैं। ई-मेल अपने गंतव्य तक विश्व के किसी भी भाग में अल्प समय में पहुंच जाती है। अगर प्राप्तकर्ता कोई स्पष्टीकरण चाहता है तो प्रेषक से तुरन्त संपर्क कर जवाब प्राप्त कर सकता है। दुनिया में कुछ पॉपुलर वेबसाइट्स हैं जिनका इस्तेमाल ई-मेल भेजने व प्राप्त करने के लिए बहुतायत से किया जाता है। ये हैं, www.gmail.com, www.yahoo.com, तथा www.rediffmail.com | वर्ल्ड वाइड वेब को www या संक्षेप में वेब के नाम से भी जाना जाता है । इंटरनेट पर जानकारी वितरित करने या इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करने का सर्वाधिक प्रचलित साधन है । वर्ल्ड वाइड वेब के अंतर्गत टैक्स्ट, ग्राफ, संगीत, तस्वीर, फिल्म, आदि सभी संग्रहीत किए जा सकते हैं तथा इंटरनेट यूज़र्स को सुलभ कराए जा सकते हैं।

इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब

  इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब  इंटरनेट आज विश्व की सर्वाधिक सक्षम सूचना-प्रणाली है। इंटरनेट विश्व के विभिन्न स्थानों पर स्थापित कम्प्यूटरों के नेटवर्क को टेलीफोन लाइन की सहायता से जोड़ कर बनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय सूचना महामार्ग है जिस पर पलक झपकते ही सूचनाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाती हैं। इंटरनेट से किसी भी विषयों जैसे वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन व विज्ञान आदि पर शीघ्रता और सरलता से जानकारियाँ प्राप्त जा सकती हैं। उपयोगकर्ता द्वारा अपने सामान एवं सेवाएँ, क्रय-विक्रय, सौदों तथा सेवाओं के निर्धारण, व्यापार के विज्ञापन व निर्धारण, रुचियां खोजने, सृजनात्मकता की अभिव्यक्ति में इंटरनेट का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट पर विश्व में कही भी रहने वाले व्यक्ति से बातें की जा सकती हैं, इलैक्ट्रॉनिक समाचार-पत्र पढ़ा जा सकता है, शेयर बाजार पर नजर रखी जा सकती है, शिक्षा प्राप्त तथा प्रदान की जा सकती है, विज्ञापन दिए जा सकते हैं, पुस्तकालयों से आवश्यक सूचना प्राप्त की जा सकती है, वीडियों अथवा आडियो कैसेट देख सुन सकते हैं।  इंटरनेट के जरिए कंप्यूटरों पर दिखायी देने वाला टैक्स्ट व

यातायात

 यातायात लगभग दो सौ साल पहले, मानव के पास यातायात का सबसे तेज उपलब्ध साधन घोड़ा था। अट्ठारहवीं शताब्दी के अंत में जेम्स वाट द्वारा विकसित वाष्प के इंजन ने यातायात को गति दी। समुद्री यातायातः बड़े और तेज वाष्प के इंजन से चलने वाले जहाजों से माल दूरस्थ तटों तक तेजी से जा सकता था, जिससे व्यापार तेजी से बढ़ा । आज भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः जहाजों पर ही निर्भर है। पारंपरिक जहाजों के अतिरिक्त, हाल के दशकों में कुछ असाधारण सामुद्रिक जहाज भी विकसित किए गए हैं, होवरक्राफ्ट उनमें से एक है। रेलवेः  वाष्प इंजन से चलने वाले जहाजों के कुछ वर्ष बाद रेलवे अस्त्तिव में आयी। रेलों को चलाने के लिए स्टीम इंजन का प्रयोग किया जाता था जो पटरियों पर डिब्बों की एक श्रृंखला को खींचते थे। पहली नियमित यात्री रेल सेवा 1825 में यू.के. में स्टॉकटन और डार्लिंगटन के बीच स्थापित की गई । 1830 के बाद कुछ ही दशकों में सभी विकसित देशों और उसके बाद विकासशील देशों में रेलवे लाइनों का जाल बिछ गया । रेल तेज गति से बड़ी मात्रा में सामान के साथ-साथ यात्रियों को भी लंबी दूरियों तक सहजता से ले जा सकती थी। डीजल इंजन के विकास

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