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प्रत्यय

प्रत्यय :- जो शब्दांश शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता उत्पन्न कर देता है, उसे प्रत्यय कहते हैं। जैसे:-  (क) 'हंस' क्रिया में 'आई' प्रत्यय लगाने से हंसाई                   शब्द बनता है।          (ख) इसी प्रकार 'लड़का' शब्द में 'पन' प्रत्यय                      लगा देने पर 'लड़कपन' शब्द बनता है। नोट:-  उपसर्ग शब्द केेे पहले लगते हैं, पर्दे बाद में जोड़े जाते हैं। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं :- 1. कृत् प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय 1. कृत् प्रत्यय :- क्रिया धातु के अंत में जो प्रत्यय लगाते हैं, उन्हें प्रीता कृत् प्रत्यय कहलाते हैं तथा कृत प्रत्यय के लगाने से बनने वाले शब्द 'कृदंन्त' (कृत् + अन्त) कहलाते हैं जो संज्ञा या विशेषण होते हैं। जैसे:- 'पढ़' धातु में 'आई' प्रत्यय लगाने पर पढ़ाई और खेल में 'आडी' प्रत्यय लगाने पर खिलाड़ी शब्द बनते हैं। यह दोनों कृत् प्रत्यय है। 2. तद्धित प्रत्यय :-    संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त्त में जुड़नेवाला प्रत्यय तद्धित प्रत्येक कहलातेे हैं और इनके मेल से बने

उपसर्ग

उपसर्ग :- उपसर्ग व शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले लगते हैं और उसके अर्थ को बदल देते हैं। जैसे:- 'जय' शब्द का अर्थ है 'जीत'। यदि उसके शुरू में 'परा' उपसर्ग लगा दे तो 'पराजय' शब्द बनता है। पराजय का अर्थ है, जो 'जय' शब्द के बिल्कुल विपरीत है। इसी प्रकार 'बल' शब्द का अर्थ ताकत है। इसमें 'प्र' और 'निर्' उपसर्ग लगा दिया जाए तो अर्थ बदल जाता है। जैसे:-  उपसर्ग:-  (क) प्र + बल - प्रबल (अधिक बलवान)              (ख) नि:+ बल - निर्बल (कमजोर) हिंदी उपसर्ग लगभग नहीं के बराबर है। ये या तो संस्कृत में है या उर्दू के। संस्कृत उपसर्गो की संख्या 22 , हिंदी उपसर्गों की संख्या 8, उर्दू उपसर्ग 19 के लगभग हैं।           

अव्यय (अविकारी) - अव्यय के परिभाषा , अव्यय के भेद, अव्यय के भेद उदाहरण सहित

अव्यय (अविकारी) :-  👉जिस शब्द के रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, इत्यादि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उसे अव्यय या अविकारी कहते हैं। जैसे:- अभी, तब, जब, अरे!,          अर्थात्, लेकिन, परंतु, वाह!            तथा, और, आगे, पीछे, यहां,वहां, बहुत, भारी, इत्यादि। अव्यय के चार भेद होते हैं :- 1. क्रियाविशेषण :- 👉जो शब्द क्रिया की विशेषता बताये,उसे क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे:- खरगोश तेज भागता है।          कछुआ धीरे-धीरे चलता है। क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं:- 🌟(क) स्थानवाचक :- 👉जो क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान की स्थिति एवं दिशा का बोध कराये उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण करते हैं। जैसे:- यहां, वहां, पास, दूर, दाएं, बाएं, ऊपर, नीचे, पास, दूर, इत्यादि 🌟 (ख) कालवाचक :-  👉जो शब्द क्रिया के काल (समय) संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे:- अभी-अभी, आज, कल, प्रतिदिन, सुबह, इत्यादि। 🌟 (ग) रीतिवाचक :- 👉जो शब्द क्रिया में रीति, ढंग, विधि का बोध कराता है, उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे:- धीरे- धीरे चलो।          हिरन तेज भागता है ।

वाच्य- वाच्य के परिभाषा , वाच्य के भेद, वाच्य के भेद उदाहरण सहित

वाच्य :-  परिभाषा- वाच्य क्रिया के उस रूप को कहते हैं जिससे यह बोध हो कि वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव में से किसकी प्रधानता है। अर्थात क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष का निर्धारण इसमें से इसके अनुसार हुआ है। जैसे:- अभिषेक पुस्तक पढ़ता है।          श्याम ने रोटी खायी। ऊपर के वाक्यों में क्रमशः कर्ता, कर्म और भाव की प्रधानता है। वाच्य तीन प्रकार के होते हैं :- 🌟1. कर्तृवाच्य  🌟 2. कर्मवाच्य 🌟 3. भाववाच्य 1. कर्तृवाच्य :- 👉जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता हो अर्थात क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होता है, उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं। जैसे:- चिड़िया चहक रही है।          सूरज निकल रहा है। 2. कर्मवाच्य :- 👉जिस वाच्य में क्रिया कर्ता के अनुसार न होकर कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे:- सोहन ने गीत गाया।          तुमने रोटी खाई। 3. भाववाच्य :-  👉भाव का अर्थ है - क्रिया का भाव। अर्थात वाक्य में क्रिया न तो कर्ता के अनुसार हो और न कर्म के अनुसार, जहां क्रिया का भाव प्रधान हो, वहां भाववाच्य कहते हैं। जैसे:- मुझसे बैठा नहीं आता।          म

काल - काल के परिभाषा , काल के भेद, काल के भेद उदाहरण सहित

काल :-  👉काल क्रिया का वह रूप है, जिससे समय का बोध होता है। जैसे:- संजय विद्यालय जाता है।          संजय विद्यालय  गया।          संजय विद्यालय जाएगा। ऊपर के वाक्यों से हमें क्रिया के होने के समय का पता चलता है। काल के तीन भेद होते हैं :- 🌟1. वर्तमान काल 🌟2. भूतकाल  🌟3. भविष्य काल 1. वर्तमान काल :- 👉वर्तमान समय में किसी क्रिया के होने या करने का बोध हो उसे वर्तमान कल कहते हैं । जैसे:- राम पढता है।          राम पढ रहा है। वर्तमान काल के तीन भेद होते हैं :- (क) सामान्यय वर्तमान :- 👉किरिया के जिस रुप से उसके वर्तमान काल में सामान्य रूप से होने का बोध हो, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं। जैसे:- गीता पुस्तक पढ़ती है।          बच्चा दूध पीता है। (ख) तत्कालीन वर्तमान :- 👉जिससे क्रिया के वर्तमान समय में लगातार होने की जानकारी मिले, उसे तत्कालीन वर्तमान करते हैं। जैसे:- रजनीश पुस्तक पढ़ रहा है।         सविता साइकिल चला रही है। (ग) संदिग्ध वर्तमान :- 👉क्रिया के जिस रुप से वर्तमान काल में क्रिया के होने का अनुमान या संदेश हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं। जैसे:- रोहित पड़ता होगा।          स

लिंग - लिंग के परिभाषा , लिंग के भेद, लिंग के भेद उदाहरण सहित

लिंग :- 👉लिंग का अर्थ है चिन्ह। शब्द के जिस रुप से पुरुष अथवा स्त्री जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। जैसे:- (क) चाचा - चाची (ख) राजा - रानी (ग) भाई - बहन (घ) अध्यापक - अध्यापिका यदि प्रत्येक का पहला शब्द नर का नाम है। प्रत्येक जोड़का दूसरा शब्द मादा का नाम है।            हिंदी में सारे पदार्थ वाचक शब्द चाहे जड़ हो या चेतन स्त्रीलिंग और पुल्लिंग इन दो लिंगों में विभक्त है :- हिंदी में लिंग के दो भेद हैं :- 🌟1. पुलिंग 🌟2. स्त्रीलिंग 1. पुलिंग  :- 👉जो संज्ञा शब्द पुरुष जाति का बोध कराए, उसे पुलिंग कहते हैं। जैसे:- लड़का, पिताजी, वृक्ष, शेर, पर्वत, पंडित, आदि। 2. स्त्रीलिंग :- 👉जो संज्ञा शब्द स्त्री जाति का बोध कराए ,उसे स्त्रीलिंग करते हैं। जैसे:- लड़की, शिक्षिका, शेरनी, नदी, पंडिताइन, आदि।

क्रिया - क्रिया के परिभाषा , क्रिया के भेद, क्रिया के भेद उदाहरण सहित

क्रिया :-  👉परिभाषा -  जिस शब्द से किसी काम के होने या करने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे:- खाना, पढ़ना, हंसना, रोना, नाचना, खेलना, आदि। उदाहरण :- (क) हवा बह रही है। (ख) वर्षा हो रही है। (ग) चंदन क्रिकेट खेलता है। 👉 स्मरण रखें : जो काम करने का बोध करता है। वह शब्द क्रिया कहलाता है। धातु :-   👉जिस मूल शब्द से क्रिया का निर्माण होता है, उसे धातु कहते हैं। धातु में 'ना' जोड़कर क्रिया बनायी जाती है। जैसे: - पढ़+ना =पढ़ना।      आ+ना =आना। क्रिया के भेद :- 👉कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं :- 🌟1. अकर्मक क्रिया 🌟2. सकर्मक क्रिया 1. अकर्मक क्रिया :- 👉जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर ही पड़े, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया का कोई कर्म (कारक) नहीं होता, इसलिए इसे अकर्मक कहा जाता है। जैसे:-  (क) श्याम रोता है। (ख) आशुतोष दौड़ता है। 2. सकर्मक क्रिया :-  👉जिस क्रिया में कर्म का फल कर्ता पर ना पढ़कर किसी दूसरी जगह पड़ता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रियाओं के साथ कर्म (कारक) रहता है या उसके साथ रहने की संभावना करता है। जैसे:- (क) मोहन पुस्त

कारक - कारक के परिभाषा,कारक के भेद, कारक के भेद उदाहरण सहित

कारक :-  कारक शब्द का संबंध 'कृ' धातु से है। इसका अर्थ है करने वाला। 👉कारक उस 'संज्ञा सर्वनाम आदि को कहते हैं जो वाक्य के अन्य शब्दों से या क्रिया से संबंध जोड़ता है।' जैसे:- 1. पेड़ पर कौवा बैठा है।          2. गीता पुस्तक पढ़ती है।          3. कृष्ण ने कंस को मारा। यहाॅ बैठना और पढ़ना और पढ़ना क्रिया का संबंध कृष्ण, पेड़, गीता से है। जो संज्ञा (कर्ता) है। विभक्ति :-  👉कारक को प्रकट करने के लिए जो चिन्ह लगाया जाता है, उसे विभक्ति कहते हैं। इसे परसर्ग भी कहते हैं। कारक के भेद :- 👉हिंदी में आठ कारक :- 1. कर्ता कारक :- 👉कर्ता का अर्थ है करनेवाला, जिसके द्वारा कोई क्रिया की जाती है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। इसमें 'ने' विभक्ति लगती है तथा कभी कभी नहीं भी लगती है। जैसे:- (क) मोहन जाता है।          (ख) कृष्णा ने  गाया।          (ग) मैंने   प्यार किया। 2. कर्म कारक :-  👉जिस प्रक्रिया का फल पड़े, उसे कर्मकारक कहत हैं। जैसे:- (क) वह सूर्य  को देखता है।          (ख) मोहन किताब पढ़ता है।          (ख) अर्जुन ने जयद्रथ को मारा। 3. करण कारक :-  👉कर्ता जिस साधन से

वचन - वचन के परिभाषा,वचन के भेद एवं उदाहरण

वचन किसे कहते हैं वचन :-संज्ञा सर्वनाम विशेषण और क्रिया के जिस रुप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते हैं। 👉वचन का अर्थ 'संख्यावचन' है। व्याकरण में इसका तात्पर्य संख्या से है। अर्थात् शब्दों के संख्या बोधक भिकारी रूप का नाम 'वचन' है। जैसे:- घोड़ा-घोड़े, महिला-महिलाएं, आदि। वचन के दो भेद हैं :- 1. एकवचन 2. बहुवचन 1. एकवचन :- 👉शब्द के जिस रूप से पदार्थ, व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एक वचन कहते हैं। जैसे:- चिड़िया, लड़का, कुत्ता, घोड़ा, आदि। 2. बहुवचन :- 👉शब्द के जिस रूप से एक से अधिक पदार्थों या व्यक्ति का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे:- लड़के, घोड़े, कुत्ते, कपड़े, इत्यादि। वचन की पहचान दो तरह से की जाती है :- 🌟(१) संज्ञा, सर्वनाम से 🌟(२) क्रिया से (२) संज्ञा, सर्वनाम से वचन की पहचान :- (क) वह पढ़ रहा है।                          वे पढ़ रहे हैं। (ख) मैं जा रहा था।                          हम जा रहे थे। (२) क्रिया से वचन की पहचान :- (क) बालक पड़ रहा है।          बालक पढ़ रहे हैं।    (ख) मोर नाचेगा।                  मोर नाचेंगे।    वचन संबंधी विशेष निर्देश एवं

विशेषण - विशेषण की परिभाषा, विशेषण के भेद उदाहरण सहित

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विशेषण :-  👉जो शब्द संज्ञा अथव सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, विशेषण कहलाते हैं। जैसे:- (क) काली गाय का दूध मीठा है।          (ख) पेड़ बहुत ऊंचा है। 👉नोट :- विशेषण संज्ञा की विशेषता प्रकट करते हैं और साथ ही सर्वनाम की। जैसे:- वह सुंदर है। इस वाक्य में सुंदर शब्द वह सर्वनाम की विशेषता बताता है। विशेषण के कार्य :- 🌟1. विशेषण से संख्या का निर्माण होता है। 🌟2. विशेषण से किसी की हीनता भी प्रकट होता है। 🌟3. विशेषण परिमाण या मात्रा बदलने का काम भी करता है। विशेषण के चार भेद :- 1. गुणवाचक विशेषण 2. संख्यावाचक विशेषण 3. परिमाणवाचक विशेषण 4. सर्वनामिक विशेषण 1. गुणवाचक विशेषण :- 👉जिस विशेषण शब्द से गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, आदि का बोध हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे:- गुण:- अच्छा, सुंदर, विद्वान्, बलवान, दानी। दोष: - पापी, लालची, बुरा, क्रूर। रंग:- सफेद, लाल, हरा, नीला। आकार:- गोल, मोटा, नुकीला, लंबा, नाटा। अवस्था:- बुढ़ा, स्वस्थ, बीमार, जवान। 2. संख्यावाचक विशेषण :- 👉जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता प्रकट करें, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे:- ए

सर्वनाम- सर्वनाम के परिभाषा,सर्वनाम के भेद,उदाहरण

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सर्वनाम सर्वनाम :- 👉 परिभाषा :- संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। अर्थात् सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर होता है। जैसे:- सुनील परीक्षा नहीं दे सका, क्योंकि वह बीमार हो गया था। हिंदी में ग्यारह सर्वनाम है :- मैं, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या।  इन्हीं सर्वनामो से और भी सर्वनाम बनते हैं। सर्वनाम के छह भेद होते हैं। 1.  पुरुषवाक च   सर्वनाम:- 👉 जिस सर्वनाम से किसी (वक्ता) कहनेवाला, (श्रोता) सुनने-वाला और जिसके विषय  में बातचीत की जा रही है का बोध हो, वह पुरुषवाचक सर्वनाम है। जैसे:- मैंने तुम्हें उसकी कलम दी। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं :- (क) उत्तम पुरुष :-  👉 कहनेवाला आपने लिए जिस सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे:- मैं, हम। (ख) मध्यम पुरुष :-  👉 जिस सर्वनाम को बोलनेवाला सुननेवाले के लिए प्रयोग करता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे:- तुम, तू, आप। (ग) अन्य पुरुष :-  👉 जिसके विषय में बात की जाती है, उसेे अन्य पुरुष कहतेे हैं। जैसे:- क्या, कौन, कुछ, जो, यह, इत्यादि। 2. निश्चयवाचक सर्वनाम :- 👉 जो सर्वनाम न

संज्ञा - संज्ञा के परिभाषा,संज्ञा के भेद, उदाहरण

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संज्ञा :- आज संज्ञा के बारे में जानेंगे - संज्ञा हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक है। संज्ञा शब्द से संसार के समस्त वास्तु ,प्राणी, स्थान, भाव का बोध होता है 👉 परिभाषा :- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। उदाहरण :- प्राणियों के नाम :- मोर, नारी, मनुष्य, तुलसीदास वस्तुओं का नाम :- पुस्तक, कुर्सी, साइकिल, कंप्यूटर स्थानों के नाम :- सासाराम, पटना, आगरा, कोलकाता संज्ञा के भेद :- संज्ञा के पांच भेद होते हैं - 1. व्यक्तिवाचक 2. जातिवाचक 3. भाववाचक 4. समूहवाचक 5. द्रव्यवाचक 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- 👉 जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु,अथवा स्थान आदि के नाम का बोध करता है, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- रामायण महाकाव्य है। अतुल पड़ता है। 2. जातिवाचक संज्ञा:- 👉 जो संज्ञा किसी प्राणी, वस्तु अथवा पदार्थ की पूरी जाति का बोध करता हो, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- गाय दूध देती हैं। कबूतर उड़ रहे हैं। 3. भाववाचक संज्ञा :- 👉 जिस संज्ञा से किसी पदार्थ का गुण-दोष, स्वभाव, भाव, कर्म या अवस्था आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:-

प्रकाश का परावर्तन एवं अपवर्तन​ "प्रकाश के परावर्तन के नियम "

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  प्रकाश के परावर्तन के नियम प्रकाश का परावर्तन​ :-  प्रकाश के किसी वस्तु से टकराकर लौटने को प्रकाश का प्रवर्तन(Reflection of light) कहते हैं​  आपतित  किरण(incident ray) ​ किसी सतह  पर पड़ने वाली किरण को आपतित  किरण कहते हैं ​ आपतन बिंदु(point of incidence)​  आपतन बिंदु जिस बिंदु पर आपतित किरण सतह से टकराती है उसे आपतन बिंदु कहते हैं ​ परावर्तित किरण(reflected ray)​ जिस माध्यम से में चलकर आपतित किरण सतह पर आती है उसी माध्यम में लौट गए किरण को परावर्तित किरण कहते हैं ​  अभिलंब(normal)​  किसी समतल सतह के किसी बिंदु पर खींचे हुए लंब को उस बिंदु पर अभिलंब कहते हैं ​ आपतन कोण (angle of incidence)​  आपतित किरण आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनती है उसे आपतन कोण कहते हैं​  परावर्तन कोण(angle of reflection)​  परावर्तित किरण आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो को बनती है उसे परावर्तन कोण कहते हैं​  प्रकाश के परिवर्तन के निम्नलिखित दो नियम है​ आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में होते हैं आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है​ (कोण i  =

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः 10th class Sanskrit

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  [समाजस्य यानं पुरुषैः नारीभिश्च चलति । साहित्येऽपि उभयोः समानं महत्त्वम्। अधुना सर्वभाषासु साहित्यरचनायां स्त्रियोऽपि तत्पराः सन्ति यशश्च लभन्ते। संस्कृतसाहित्ये प्राचीनकालादेव साहित्यसमृद्धौ योगदानं न्यूनाधिकं प्राप्यते। पाठेऽस्मिन्नतिप्रसिद्धानां लेखिकानामेव चर्चा वर्तते येन साहित्यनिधिपूरणे तासां योगदानं ज्ञायेत।] हिन्दी समाज की गाड़ी पुरुष और नारी दो चक्कों पर चलती है। साहित्य में भी दोनों का बराबर महत्त्व है। अभी सभी भाषाओं की साहित्य रचना में स्त्रियाँ भी तत्पर हैं और यश प्राप्त कर रहे हैं। संस्कृत साहित्य में प्राचीनकाल से ही साहित्य समृद्धि में उनका योगदान थोड़ा बहुत देखा जाता है । इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की ही चर्चा है, जिससे साहित्य-कोष पूर्णता में उनका योगदान जाना जाय । विपुलं संस्कृतसाहित्यं विभिन्नैः कविभिः शास्त्रकारैश्च संवर्धितम्। वैदिककालादारभ्य शास्त्राणां काव्यानाञ्च रचने संरक्षणे च यथा पुरुषाः दत्तचित्ताः अभवन् तथैव स्त्रियोऽपि दत्तावधानाः प्राप्यन्ते। वैदिकयुगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषयः, प्रत्युत ऋषिका अपि सन्ति। ऋग्वेदे । चतुर्विंशतिरथर्ववेदे च प

नीतिश्लोकाः 10th class sanskrit

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(अयं पाठः सुप्रसिद्धस्य ग्रन्थस्य महाभारतस्य उद्योगपर्वणः अंशविशेष (अध्यायाः) रूपायाः विदुरनीते: संकलितः। यद्धम् आसन्नं प्राप्य धृतराष्ट्रो मन्त्रिप्रवरं विदुरं स्वचित्तस्य शान्तये कांश्चित् प्रश्नान् नीतिविषयकान् पृच्छति । तेषां समुचितमुत्तरं विदुरो ददाति। तदेव प्रश्नोत्तररूपं ग्रन्थरत्नं विद रनीतिः। इयमपि भगवद्गीतेव महाभारतस्याङ्गमपि स्वतन्त्रग्रन्थरूपा वर्तते।) हिदी-  यह पाठ सुप्रसिद्ध ग्रन्थ महाभारत का उद्योग पर्व का - विशेष अंश अध्याय 33-40 के रूप में उल्लिखित विदुर-नीति से संग्रहित  है। युद्ध को अवश्यंभावी और समीप देखकर धृतराष्ट्र ने सुयोग्य मंत्री । विदुर को अपना चित्र शांति के लिए नीति विषय से संबंधित कुछ प्रश्न . पूछते हैं। उनका उचित उत्तर विदुर देते हैं। वही प्रश्नोत्तररूप ग्रन्थरत्न विदुर-नीति है। यह भी भगवद्गीता की तरह महाभारत का एक अंग होते हए भी स्वतंत्र ग्रन्थ रूप में है। यस्य कृत्यं न विनन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः ।   समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥1॥ हिदी- जिसके कार्य में शीत, ऊष्ण, भय और डर तथा सुख-दुख बाधा नहीं करते वही व्यक्ति पण्डित है।                    

नौवतखाने में इबादत 10th class Hindi question and answer

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 नौवतखाने में इबादत 10th class hindi question and answer  'संगीतमय कचौड़ी' का आप क्या अर्थ समझते हैं ?  उत्तर -कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी संगीतमय कहा गया है। वह जब बहुत गरम घी में कचौड़ी डालती थी, तो उस समय छन्न से आवाज उठती थी जिसमें अमीरुद्दीन को संगीत के आरोह-अवरोह की आवाज सुनाई देती थी। इसीलिए कचौड़ी को 'संगीतमय कचौड़ी' कहा गया है ।  सुषिर वाद्य किन्हें कहा जाता है ? 'शहनाई' शब्द की व्युत्पत्ति किस प्रकार हुई है? उत्तर– सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। अरब देशों में ऐसे वाद्यों को नय कहा जाता है और उनमें शाह को शहनाई की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, श्रृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है।  पठित पाठ के आधार पर मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय दें।  उत्तर– मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ का अत्यधिक जुड़ाव था। मुहर्रम के महीने में वे न तो शहनाई बजाते थे और न ही किसी संगीत-कार्यक्रम में सम्मिलित होते थे । मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर ही शहनाई बजाते थे। वे दालम

शिक्षा और संस्कृति 10th class Hindi question and answer महात्मा गांधी

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गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं?  उत्तर- अहिंसक प्रतिरोध को गाँधीजी बढ़िया शिक्षा कहते हैं। यह शिक्षा अक्षर-ज्ञान से पूर्व मिलना चाहिए।   इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरूरी है? उत्तर-इन्द्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग उसकी बुद्धि के विकास का जल्द-से-जल्द और उत्तम तरीका है।  मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है ? उत्तर-शिक्षा का प्रारंभ इस तरह किया जाए कि बच्चे उपयोगी दस्तकारी सीखें और जिस क्षण से वह अपनी तालीम शरु करें उसी क्षण उन्हें उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। इस प्रकार की शिक्षा-पद्धति में मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।  शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्या ? उत्तर-शिक्षा का ध्येय गाँधीजी चरित्र-निर्माण करना मानते थे। उनके विचार से शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में साहस, बल, सदाचार जैसे गुणों का विकास होना चाहिए, क्योंकि चरित्र-निर्माण होने से सामाजिक उत्थान स्वयं होगा। साहसी और सदाचारी व्यक्ति के हाथों में समाज के संगठन का काम आसानी से सौंपा जा सकता है ।  गाँधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं और क्यों?

रूसी क्रांति का प्रभाव 10th class history

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रूसी क्रांति के प्रभाव रूसी क्रांति के प्रभाव निम्नलिखित हैं। 1.इस क्रांति के पश्चात श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया। 2.रूसी क्रांति के बाद विश्व में विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभाजित हो गया साम्यवादी विश्वा एवं पूंजीवादी विश्व इसके पश्चात यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया पूर्वी यूरोप एवं पश्चिमी यूरोप धर्म सुधार आंदोलन के पश्चात और साम्यवादी क्रांति के पहले यूरोप में वैचारिक आधार पर इस तरह का विभाजन नहीं देखा गया था। 3.द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूंजीवाद विश्व तथा सोवियत रूस के बीच युद्ध की शुरुआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच शास्त्रों की होड़ चलती रही। 4.रूसी क्रांति के पश्चात आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया आगे पूंजीवादी देश ने भी परिवर्तित रूप  में इस मॉडल को अपना लिया इस प्रकार से पूंजीवाद के चरित्र में वे परिवर्तन आ गया। 5.इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने

मछली 10th class Hindi question and answer

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मछली मछली को छूते हुए संतू क्यों हिचक रहा था ? संतू मछलियों को छूते हुए हिचक रहा था, क्योंकि उसे डर था कि मछली काट लेगी। मछलियाँ लिए घर आने के बाद बच्चों ने  क्या किया?  मछलियाँ घर लाने के बाद बच्चों ने नहानघर में भरी हई बाल्टी की आधी करके उसमें मछलियाँ को रख दिया  मछलियों को लेकर बच्चों की अभिलाषा क्या थी? मछलियों को लेकर बच्चों के मन में अभिलाषा थी कि एक मछली पिताजी से माँगकर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें। 'मछली' शीर्षक कहानी में एक किशोर की स्मृतियाँ, दृष्टिकोण और समस्याएँ हैं। मछलियों के माध्यम से, मुक रहकर प्राणांत को स्वीकार लेना ही लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की नियति है, बताया गया है। जीवन क्षणभंगुर है। कल्पनाएँ क्षणिक हैं एवं स्वप्न कभी भी बिखर सकते हैं। बाल सुलभ मनोभाव मछलियों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। पूरी कहानी मछली पर ही आधारित है। मछली की दशा का जीवन्त चित्रण है। अंततः दीदी की तुलना भी बालक मछली से करता है। इस कहानी का 'मछली' शीर्षक पूर्ण रूपेण सार्थक कहा जा सकता है। झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौडते हुए पतली गली

नागरी लिपि

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नागरी लिपि गुणाकर मुले का जन्म किस राज्य में हुआ था बिहार उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र मध्य प्रदेश गुणाकर मूले की प्रारंभिक शिक्षा किस परिवेश में हुई थी नगरीय   ग्रामीण  उच्च स्तरीय  इनमें से कोई नहीं गुणाकर मुले ने  मिडिल स्तर की पढ़ाई किस भाषा में की हिंदी  अंग्रेजी  संस्कृत   मराठी गुणाकर मुले ने  मिडिल स्तर की पढ़ाई किस भाषा में की अनामिका की  गुणाकर मुले की  हजारी प्रसाद द्विवेदी की  इनमें से कोई नहीं गुणाकर मुले की शिक्षा की भाषा क्या थी हिंदी  अंग्रेजी  संस्कृत   मराठी  नागरी लिपि किस विधा की रचना है कहानी   निबंध  उपन्यास  संस्मरण “नागरी लिपि पाठ” किस लिपि में रचित है ब्राम्ही  खरोष्ठी  देवनागरी इनमें से कोई नहीं  देवनागरी लिपि के टाइप लगभग कितने पहले बने दो सदी  तीन सदी  एक सदी  इनमें से कोई नहीं गुणाकर मुले ने किस लिपि को प्राचीन नागरी लिपि की बहन की संज्ञा दी है गुजराती  बांग्ला  तमिल  मलयालम नागरी लिपि के आरंभिक लेख मिले हैं पूर्वोत्तर भारत से  दक्

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