संदेश

10th class लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वदेशी 10th class hindi question and answer

 स्वदेशी 10th class hindi  इस पोस्ट मे हम लोग 10 class हिन्दी की महतपूर्ण अध्याय स्वदेशी का प्रश्न और ऊतर करने वाले है जिस से अक्सर ही परिक्षा मे सवाल पूछे जाते है आप इन सभी प्रश्न और ऊतर को याद कर ले ये आपके exam मे मदद करेगा  कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।  उत्तर -- वस्तुत: किसी भी गद्य या पद्य का शीर्षक वह धुरी होता है जिसके चारों तरफ कहानी या भाव घूमते रहता है। रचनाकार शीर्षक देते समय उसके कथानक, कथावस्तु, कथ्य को ध्यान में रखकर ही देता है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक 'स्वदेशी' अपने आप में उपयुक्त है। पराधीन भारत की दुर्दशा और लोगों की सोच को ध्यान में रखकर इस शीर्षक को रखा गया है। अंग्रेजी वस्तुओं को फैशन मानकर नये समाज की परिकल्पना करते हैं। रहन-सहन खान-पान आदि सभी पाश्चात्य देशों का ही अनुकरण कर रहे हैं। स्वदेशी वस्तुओं को तुच्छ मानते हैं। हिन्दु, मुस्लमान, ईसाई आदि सभी विदेशी वस्तुओं पर ही भरोसा रखते हैं। उन्हें अपनी संस्कृति विरोधाभास लाती है। बाजार में विदेशी वस्तुएँ ही नजर आती _है। भारतीय कहने-कहलाने पर अपने आप को हेय की दृष्टि से देखते हैं। सर्वत्र पाश्चात्

महापाषाण काल

महापाषाण काल  नवपाषाण युग की समाप्ति के बाद दक्षिण में जिस संस्कृति का उदय हुआ, उसे महापाषाण काल कहा जाता है। पत्थर की कब्रों को 'महापाषाण' कहा जाता था। इन कब्रों में मानवों को दफनाया जाता था। महापाषाण काल से संबद्ध लोग साधारणतः पहाड़ों की ढलान पर रहते थे। दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्वी भारत तथा कश्मीर में यह प्रथा प्रचलित थी। यहाँ की कब्रों में लोहे के औज़ार, घोड़े के कंकाल तथा पत्थर एवं सोने के गहने भी प्राप्त हुए हैं। महापाषाण काल में आंशिक शवाधान की पद्धति भी प्रचलित थी जिसके तहत शवों को जंगली जानवरों के खाने के लिये छोड़ दिया जाता था। ब्रह्मगिरि, आदिचन्नलूर, मास्की, चिंगलपत्तु, नागार्जुनकोंडा आदि इसके प्रमुख शवाधान केंद्र हैं। महापाषाणकालीन लोग धान के अतिरिक्त रागी की खेती भी करते थे। इतिहासकारों ने महापाषाण काल का निर्धारण 1000 ई. पू. से लेकर प्रथम शताब्दी ई. पू. के बीच किया है। 

10th class physics objective question and answer प्रकाश का अपवर्तन vi...

चित्र

अवतल दर्पण का उपयोग physics

चित्र
अवतल दर्पण के उपयोग​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ दाढ़ी बनाने में​ चुकी अवतल दर्पण निकट रखी वस्तु का सीधा बड़ा तथा आभासी प्रतिबिंब बनाता है इसीलिए बड़ी वक्रता त्रिज्या वाले अवतल दर्पण का उपयोग हजामत ( दाढ़ी बनाने के लिए) दर्पण के रूप में प्रयोग किया जाता हैं​ परावर्तक सतह​ टॉर्च वाहनों के हेड लाइटों तथा सर्च लाइटों में अवतल दर्पण का उपयोग परावर्तकों के रूप में किया जाता है इसमें प्रकाश के स्रोत (बल्ब) को अवतल दर्पण की फोकस पर रखा जाता है जिससे परिवर्तन के बाद प्रकाश का समानांतर किरण पुंज प्राप्त होता है​ डॉक्टर द्वारा​ रोगियों के नाक कान गले दांत आदि की जांच के लिए डॉक्टर अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं, जो किसी प्रकाश स्रोत जैसे बिजली के बल्ब से आते प्रकाश को एक छोटी सी जगह में केंद्रित कर देते हैं​ सौर भट्ठियों में​ सौर भट्ठियों में सूर्य से आती ऊष्मा ऊर्जा को बड़े-बड़े अवतल दर्पण द्वारा छोटी जगह पर केंद्रित किया जाता है और इससे प्राप्त ऊष्मा से कई प्रकार के उपयोग लिए जाते हैं​

10th class physics objective question and answer प्रकाश का अपवर्तन video 4

चित्र
10th class physics objective question and answer  प्रकाश का अपवर्तन निम्नलिखित में से कौन किसी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब बना सकती है कांच की समतल पट्टी​ अवतल लेंस​ उत्तल लेंस​ इनमें कोई नहीं किसी माध्यम के अपवर्तनांक का मान होता है​ (Sin I)/(Sin r)​ (Sin r)/(Sin I)​ (Sin i )+( sin r) ​ (Sin I) x (sin r)​ सरल सूक्ष्मदर्शी में किसका उपयोग होता है​ उत्तल लेंस का​ अवतल लेंस का​ उत्तल दर्पण का​ अवतल दर्पण का​ उत्तल लेंस है​ किनारे की अपेक्षा बीच में मोटा होता है​ बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा होता है।​ की मोटाई सभी जगह समान होती है।​ कोई सही नहीं है​ किसी उत्तल लेंस के सापेक्ष कोई वस्तु किस स्थान पर रखी जाए कि उसका वास्तविक, उल्टा तथा बराबर समान आकार का प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके​ लेंस तथा उसके फोकस के बीच​ फोकस पर​ फोकस दूरी से दुगनी दूरी पर​ अनंत पर​ उत्तल लेंस में जब वस्तु फोकस एवं लेंस के बीच रखी जाती है तब कैसा प्रतिबिंब बनता है​ काल्पनिक और सीधा​ काल्पनिक और उल्टा​ वास्तविक और उल्टा​ वास्तविक और सीधा​ यदि वस्तु उत्तल लेंस की फोकस तथा फोकस दूरी की दुगनी दूरी के बीच हो तो प्रतिबिं

10th class physics objective question and answer प्रकाश के परावर्तन vi...

चित्र
किसी अवतल दर्पण द्वारा आभासी (काल्पनिक), सीधा और आवर्धित प्रतिबिम्ब  तब बनता है जब वस्तु (बिम्ब) की स्थिति होती है​ वक्रता केंद्र पर ​  वक्रता -केंद्र से परे​  फोक्स और वक्रता केंद्र के बीच​ दर्पण के ध्रुव और उसके फोक्स के बीच​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ मोटरगाड़ी के चालक के सामने लगा रहता है​  समतल दर्पण​ अवतल दर्पण​  उत्तल दर्पण ​ एक पतला लेंस​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब होता है​ ​ काल्पनिक और उलटा ​  काल्पनिक और सीधा​  वास्तविक और उलटा​  वास्तविक और सीधा​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब होता है।​  हमेशा सीधा​ हमेशा उलटा​  सीधा भी और उलटा भी​  इनमें कोई नहीं​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ दाढ़ी बनाने में किस प्रकार के दर्पण का उपयोग किया जाता है ?​ ​उत्तल​  समतल​ अवतल ​ इनमें कोई नहीं​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ ​एक दर्पण से किसी भी दूरी पर रखी एक वस्तु का सीधा प्रतिबिंब ही प्राप्त होता है। दर्पण हो सकता है​ ​समतल​  उत्तल  समतल अथवा उत्तल​ अवतल​ ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ ​संबंध f= R/2, सत्य है।​ ​ उत्तल दर्पण के लिए, परंतु अवतल दर्पण के लिए नहीं​  अवतल दर्पण के लिए, परंतु उत्तल दर्प

प्रतिबिंब (image) किसे कहते हैं? समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब की विशेषताएं।

चित्र
जब किसी दर्पण या आईने के सामने कोई वस्तु रखी जाती है तब उसका प्रतिबिंब (image) दिखाई पड़ता है।वस्तु के विभिन्न बिंदुओं से प्रकाश की किरणें दर्पण पर पड़ती है परिवर्तन के नियम का पालन करती हुई परिवर्तित होती है। यह परिवर्तित किरणें या तो किसी बिंदु पर मिलती है या फिर किसी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है। reflection of light mirror image  प्रतिबिंब(image):- 👉 किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है, उसे उस बिंदु स्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं। प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं वास्तविक प्रतिबिंब (real image) आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब (virtual image) वास्तविक प्रतिबिंब (real image) 👉किसी बिंदु स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है उसे उस बिंदु स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। अतः वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उल्टा होता है। आभासी प्रतिबिंब (virtual image) 👉किसी बिंदु स्रोत से आती प

परम्परा का मूल्यांकन 10th class Hindi Objective Question and answer

चित्र
 परम्परा का मूल्यांकन 'परम्परा का मल्यांकन' पाठ के रचनाकार हैं यतीन्द्र मिश्र  रवीन्द्रनाथ टैगोर  रामविलास शर्मा  गुणाकर मूले रामविलास शर्मा ने बी० ए० किस विश्वविद्यालय से किया ? दिल्ली विश्वविद्यालय से  लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रयाग विश्वविद्यालय से  पटना विश्वविद्यालय से  रामविलास शर्मा ने बी० ए० कब किया? 1932 ई. में  1934 ई. में  1933 ई. में  1931 ई. में रामविलास शर्मा किस संस्थान के निदेशक बने? के. एम. हिन्दी संस्थान  जे. एम. हिन्दी संस्थान हिन्दी साहित्य अकादमी  राष्ट्रभाषा परिषद  'निराला की साहित्य’ साधना के रचनाकार हैं रमाधारी सिंह 'दिनकर'  शिवपूजन सहाय अशोक वाजपेयी  रामविलास शर्मा साहित्य की परम्परा का मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम किस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं? जो श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है। जो पूँजीपतियों के हितों को प्रतिबिम्बित करता है।  जो श्रम-विभाजन को बढ़ावा देता है।  जो जातिवाद का पोषक है। रामविलास शर्मा का जन्म कब हुआ था? 10 अक्टूबर, 1912  20 सितम्बर, 1913  25 नवम्बर, 1914  10 अक्टूबर, 1911  'परंपरा का मूल्यांकन'

बहादुर 10th class hindi question and answer

चित्र
बहादुर  🌟बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था  👉एक बार बहादुर ने अपनी मां की प्यारी भैंस को बहुत मारा मां ने भैंस की मार का काल्पनिक अनुमान करके एक डंडे से उसकी दुगनी पिटाई कि बहादुर का मन मां  से फट गया वह चुपके से कुछ रुपए लिया और घर से भाग गया 🌟बहादुर का चरित्र-चित्रण करें 👉बहादुर कहानी का नायक है उम्र 13-14 वर्ष है ठीगना कद है गोरा शरीर और चपटे मुह वाला बहादुर अपनी मां की उपेक्षा और प्रताड़ना का शिकार है अपने काम में चुस्त-दुरुस्त और फुर्तीला है मानवीय भावनाएं हैं सबसे बड़ी बात है कि वह स्वाभिमानी और मेहनती तथा अपने काम के प्रति इमानदार है 🌟 बहादुर के नाम से दिल शब्द क्यों उड़ा दिया गया विचार करें 👉प्रथम बार नाम पूछने पर बहादुर ने अपना नाम दिल बहादुर बताया यहां दिल शब्द का अभिप्राय भावात्मक परिवेश में है बहादुर को उदारता से दूर रहकर मन और मस्तिष्क से केवल अपने घर के कार्यों में लीन होने का उपदेश दिया गया था इस प्रकार से निर्मला द्वारा उसके नाम से दिल शब्द उड़ा दिया गया 🌟अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए 👉पहली बार देखे बहादुर की उम्र 13 14 वर्ष की थी उसका रंग

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः 10th class Sanskrit

चित्र
  [समाजस्य यानं पुरुषैः नारीभिश्च चलति । साहित्येऽपि उभयोः समानं महत्त्वम्। अधुना सर्वभाषासु साहित्यरचनायां स्त्रियोऽपि तत्पराः सन्ति यशश्च लभन्ते। संस्कृतसाहित्ये प्राचीनकालादेव साहित्यसमृद्धौ योगदानं न्यूनाधिकं प्राप्यते। पाठेऽस्मिन्नतिप्रसिद्धानां लेखिकानामेव चर्चा वर्तते येन साहित्यनिधिपूरणे तासां योगदानं ज्ञायेत।] हिन्दी समाज की गाड़ी पुरुष और नारी दो चक्कों पर चलती है। साहित्य में भी दोनों का बराबर महत्त्व है। अभी सभी भाषाओं की साहित्य रचना में स्त्रियाँ भी तत्पर हैं और यश प्राप्त कर रहे हैं। संस्कृत साहित्य में प्राचीनकाल से ही साहित्य समृद्धि में उनका योगदान थोड़ा बहुत देखा जाता है । इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की ही चर्चा है, जिससे साहित्य-कोष पूर्णता में उनका योगदान जाना जाय । विपुलं संस्कृतसाहित्यं विभिन्नैः कविभिः शास्त्रकारैश्च संवर्धितम्। वैदिककालादारभ्य शास्त्राणां काव्यानाञ्च रचने संरक्षणे च यथा पुरुषाः दत्तचित्ताः अभवन् तथैव स्त्रियोऽपि दत्तावधानाः प्राप्यन्ते। वैदिकयुगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषयः, प्रत्युत ऋषिका अपि सन्ति। ऋग्वेदे । चतुर्विंशतिरथर्ववेदे च प

नीतिश्लोकाः 10th class sanskrit

चित्र
(अयं पाठः सुप्रसिद्धस्य ग्रन्थस्य महाभारतस्य उद्योगपर्वणः अंशविशेष (अध्यायाः) रूपायाः विदुरनीते: संकलितः। यद्धम् आसन्नं प्राप्य धृतराष्ट्रो मन्त्रिप्रवरं विदुरं स्वचित्तस्य शान्तये कांश्चित् प्रश्नान् नीतिविषयकान् पृच्छति । तेषां समुचितमुत्तरं विदुरो ददाति। तदेव प्रश्नोत्तररूपं ग्रन्थरत्नं विद रनीतिः। इयमपि भगवद्गीतेव महाभारतस्याङ्गमपि स्वतन्त्रग्रन्थरूपा वर्तते।) हिदी-  यह पाठ सुप्रसिद्ध ग्रन्थ महाभारत का उद्योग पर्व का - विशेष अंश अध्याय 33-40 के रूप में उल्लिखित विदुर-नीति से संग्रहित  है। युद्ध को अवश्यंभावी और समीप देखकर धृतराष्ट्र ने सुयोग्य मंत्री । विदुर को अपना चित्र शांति के लिए नीति विषय से संबंधित कुछ प्रश्न . पूछते हैं। उनका उचित उत्तर विदुर देते हैं। वही प्रश्नोत्तररूप ग्रन्थरत्न विदुर-नीति है। यह भी भगवद्गीता की तरह महाभारत का एक अंग होते हए भी स्वतंत्र ग्रन्थ रूप में है। यस्य कृत्यं न विनन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः ।   समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥1॥ हिदी- जिसके कार्य में शीत, ऊष्ण, भय और डर तथा सुख-दुख बाधा नहीं करते वही व्यक्ति पण्डित है।                    

नौवतखाने में इबादत 10th class Hindi question and answer

चित्र
 नौवतखाने में इबादत 10th class hindi question and answer  'संगीतमय कचौड़ी' का आप क्या अर्थ समझते हैं ?  उत्तर -कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी संगीतमय कहा गया है। वह जब बहुत गरम घी में कचौड़ी डालती थी, तो उस समय छन्न से आवाज उठती थी जिसमें अमीरुद्दीन को संगीत के आरोह-अवरोह की आवाज सुनाई देती थी। इसीलिए कचौड़ी को 'संगीतमय कचौड़ी' कहा गया है ।  सुषिर वाद्य किन्हें कहा जाता है ? 'शहनाई' शब्द की व्युत्पत्ति किस प्रकार हुई है? उत्तर– सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। अरब देशों में ऐसे वाद्यों को नय कहा जाता है और उनमें शाह को शहनाई की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, श्रृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है।  पठित पाठ के आधार पर मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय दें।  उत्तर– मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ का अत्यधिक जुड़ाव था। मुहर्रम के महीने में वे न तो शहनाई बजाते थे और न ही किसी संगीत-कार्यक्रम में सम्मिलित होते थे । मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर ही शहनाई बजाते थे। वे दालम

शिक्षा और संस्कृति 10th class Hindi question and answer महात्मा गांधी

चित्र
गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं?  उत्तर- अहिंसक प्रतिरोध को गाँधीजी बढ़िया शिक्षा कहते हैं। यह शिक्षा अक्षर-ज्ञान से पूर्व मिलना चाहिए।   इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरूरी है? उत्तर-इन्द्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग उसकी बुद्धि के विकास का जल्द-से-जल्द और उत्तम तरीका है।  मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है ? उत्तर-शिक्षा का प्रारंभ इस तरह किया जाए कि बच्चे उपयोगी दस्तकारी सीखें और जिस क्षण से वह अपनी तालीम शरु करें उसी क्षण उन्हें उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। इस प्रकार की शिक्षा-पद्धति में मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।  शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्या ? उत्तर-शिक्षा का ध्येय गाँधीजी चरित्र-निर्माण करना मानते थे। उनके विचार से शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में साहस, बल, सदाचार जैसे गुणों का विकास होना चाहिए, क्योंकि चरित्र-निर्माण होने से सामाजिक उत्थान स्वयं होगा। साहसी और सदाचारी व्यक्ति के हाथों में समाज के संगठन का काम आसानी से सौंपा जा सकता है ।  गाँधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं और क्यों?

popular post