गुटनिरपेक्ष आंदोलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
परिचय
यह विश्व के 120 विकासशील देशों का एक मंच है, जिसमें वे देश शामिल हैं, जो औपचारिक तौर पर विश्व की किसी भी बड़ी महाशक्ति के गुट में शामिल नहीं हैं।
पृष्ठभूमि
इस समूह की शुरुआत वर्ष 1961 में बेलग्रेड, यूगोस्लाविया में हुई थी।
इस समूह का गठन यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टिटो, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के दूसरे राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर, घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे नक्रमा और इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो द्वारा किया गया था।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के गठन की प्रक्रिया में वर्ष 1955 में आयोजित बांडुंग सम्मेलन को काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
उद्देश्य
इसका उद्देश्य विश्व राजनीति में एक स्वतंत्र मार्ग का निर्माण करना है, ताकि सदस्य देश प्रमुख शक्तियों के बीच संघर्ष में मात्र प्यादा बनकर न रह जाएँ।
यह
- (1) स्वतंत्र निर्णय के अधिकार,
- (2) साम्राज्यवाद एवं नव-उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष और
- (3) वैश्विक शक्तियों के संबंध में संतुलित नीति के उपयोग को उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले तीन मूल तत्त्वों के रूप में स्वीकारता है।
वर्तमान में इसका एक अतिरिक्त लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के पुनर्गठन में सहायता करना है।
सिद्धांत
- मूलभूत अधिकारों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का सम्मान करना।
- सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना।
- सभी नस्लों और सभी राष्ट्रों के बीच समानता स्थापित करना, चाहे वे छोटे हों या बड़े।
- किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुरूप स्वयं के बचाव के लिये व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से प्रत्येक राष्ट्र के अधिकार का सम्मान करना।
- किसी भी वैश्विक शक्ति के विशिष्ट हितों को लाभ पहुँचाने के लिये सामूहिक रक्षा संधि का उपयोग न करना।
- किसी भी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध आक्रामकता और बल के उपयोग के खतरों से बचना।
- शांतिपूर्ण ढंग से सभी अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा करना।
- आपसी हित और सहयोग को बढ़ावा देना।
- न्याय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्व का सम्मान करना।
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