नीतिश्लोकाः 10th class sanskrit
(अयं पाठः सुप्रसिद्धस्य ग्रन्थस्य महाभारतस्य उद्योगपर्वणः अंशविशेष (अध्यायाः) रूपायाः विदुरनीते: संकलितः। यद्धम् आसन्नं प्राप्य धृतराष्ट्रो मन्त्रिप्रवरं विदुरं स्वचित्तस्य शान्तये कांश्चित् प्रश्नान् नीतिविषयकान् पृच्छति । तेषां समुचितमुत्तरं विदुरो ददाति। तदेव प्रश्नोत्तररूपं ग्रन्थरत्नं विद रनीतिः। इयमपि भगवद्गीतेव महाभारतस्याङ्गमपि स्वतन्त्रग्रन्थरूपा वर्तते।) हिदी- यह पाठ सुप्रसिद्ध ग्रन्थ महाभारत का उद्योग पर्व का - विशेष अंश अध्याय 33-40 के रूप में उल्लिखित विदुर-नीति से संग्रहित है। युद्ध को अवश्यंभावी और समीप देखकर धृतराष्ट्र ने सुयोग्य मंत्री । विदुर को अपना चित्र शांति के लिए नीति विषय से संबंधित कुछ प्रश्न . पूछते हैं। उनका उचित उत्तर विदुर देते हैं। वही प्रश्नोत्तररूप ग्रन्थरत्न विदुर-नीति है। यह भी भगवद्गीता की तरह महाभारत का एक अंग होते हए भी स्वतंत्र ग्रन्थ रूप में है। यस्य कृत्यं न विनन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः । समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥1॥ हिदी- जिसके कार्य में शीत, ऊष्ण, भय और डर तथा सुख-दुख बाधा नहीं करते वही व्यक्ति पण्डित है।