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भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)-

 भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)-  भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपर्पटी में गहराइयों पर तप्त क्षेत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती हैं जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी इस तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने के लिए निकास मार्ग मिल जाता है। इन निकास मार्गों को गरम चश्मा अथवा ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी यह भाप चट्टानों के बीच में फँस जाती है जहाँ इसका दाब अत्यधिक हो जाता है। तप्त स्थलों तक पाइप डालकर इस भाप को बाहर निकाल लिया जाता है। उच्च दाब पर निकली यह भाप विद्युत जनित्र की टरबाइन को घुमाती है जिससे विद्युत उत्पादन करते हैं। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन की लागत अधिक नहीं है परंतु ऐसे बहुत कम क्षेत्र हैं जहाँ व्यापारिक दृष्टिकोण से इस ऊर्जा का दोहन करना व्यावहारिक है। न्यूजीलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित कई विद्युत शक्ति संयंत्र कार्य कर रहे हैं।

फाल्कनमार्क संकेतक (Falkenmark Indicator)

 फाल्कनमार्क संकेतक (Falkenmark Indicator)  यह जल संसाधन पर दबाव की स्थिति का आकलन करने हेत उपयोग में लाया जाने वाला एक संकेतक है। यह किसी देश में कुल पीने योग्य जल-संसाधनों की कुल आबादी से तुलना करते हुए उस दबाव को प्रदर्शित करता है जिसे उक्त आबादी जल संसाधनों पर डालती है। इसमें प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की आवश्यकताएँ भी शामिल हैं।

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