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क्या कब और कैसे class 6 NCERT SHORT NOTES

  lesson 1 कृषि का आरंभ 8000 वर्ष पूर्व सिंधु सभ्यता के प्रथम नगर 4700 वर्ष पूर्व गंगा घाटी के नगर मगध का बड़ा राज्य 2500 वर्ष पूर्व वर्तमान लगभग 2000 वर्ष पूर्व नर्मदा नदी के तट पर लाखो वर्ष पहले लोग संग्राहक के रूप में रहते भोजन का संग्राह - संग्राहक यह आखेट भी करते थे और जंगलों से परिचित थे सुलेमान और किरथर की पहाड़ियां - पाकिस्तान वर्तमान सबसे पहले गेहूं तथा जौ - 8000 वर्ष पूर्व -सुलेमान और किरथर की पहाड़ियां यहां के लोगों ने भेड़ बकरी और गाय बैल जैसे पशुओं को पालतू बनाया -  गांव में रहते थे। उत्तर पूर्व में गारो तथा मध्य भारत में विंध्य पहाड़ियों --- कृषि का विकास। सबसे पहले चावल उपजाया गया ---- विंध्य के उत्तर में स्थित सिंधु  तथा उसकी सहायक नदियों के किनारे ---- लगभग 4700 वर्ष पूर्व आरंभिक नगर बसे गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के किनारे तथा समुंद्र तटवर्ती इलाकों में नगरों का विकास लगभग 2500 वर्ष पूर्व प्राचीन काल में --- गंगा के दक्षिणी क्षेत्र आसपास के क्षेत्र ---- मगध के नाम से ---- शासक-- शक्तिशाली थे। इंडिया तथा भारत नाम- इंडिया शब्द इण्डस से निकला है जिसे संस्कृत में सिंधु कह

आरंभिक मानव की खोज class 6 NCERT Short notes

 Lesson 2  हम उन लोगों के बारे में जानते हैं जो इस उपमहाद्वीप में 2000000 साल पहले रहा करते थे आज हम उन्हें आखेटक खाद्य संग्रहक  के नाम से जानते हैं । आखेटक खाध संग्राहक - घूमते रहने का कारण - अगर वे एक ही जगह पर ज्यादा दिन तक रहते तो आसपास के पौधों फलों और जानवरों को खा कर समाप्त कर देते थे। जानवरों का शिकार करने वाले जानवरों के पीछे एक जगह से दूसरे जगह तक जाना। पेड़ों और पौधों में फल फूल अलग-अलग मौसम में आते हैं। पानी के तलाश में पत्थर के उपकरण बहुत महत्वपूर्ण थे इसीलिए लोग ऐसी जगह ढूंढते रहते थे जहां अच्छे पत्थर मिल सके जहां लोग पत्थरों से औजार बनाते थे उन स्थलों को उद्योग-स्थल कहते हैं। पुरास्थल पुरास्थल उन स्थानों को कहते हैं जहां औजार बर्तन और इमारतें जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं। ऐसी वस्तुओं का निर्माण लोगों ने अपने काम के लिए किया था और बाद में वह उन्हें वहीं छोड़ गए यह जमीन के ऊपर अंदर कभी-कभी समुद्र और नदी के तल में भी पाए जाते हैं पाषाण उपकरणों के निर्माण के तरीके पत्थर से पत्थर को टकराना आघात करने वाले पत्थर से दूसरे पत्थर पर तब तक शल्क के निकाले जाते हैं जब तक वांछत आक

सौरमंडल में पृथ्वी 6 class NCERT short notes

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पूर्णिमा 👉 पूर्ण चंद्रमा वाली रात को पूर्णिमा कहते हैं। अर्थात चंद्रमा वाली रात । अमावस्या 👉 बिना चांद वाली रात को अमावस्या कहते हैं। इसे नये चंद्रमा की रात भी कहा जाता है। खगोलीय पिंड 👉 सूर्य चंद्रमा एवं रात को आसमान में चमकने वाली सभी वस्तुओं को खगोलीय पिंड कहते हैं। तारा 👉 यह आकार में बड़े, गर्म, और गैसों से बने होते हैं इनके पास अपनी ऊष्मा होती है एवं बड़ी मात्रा में ये अपनी उष्मा उत्सर्जित करते हैं तथा अपने प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। 🌟 हमारा सूर्य भी एक तारा है ग्रह 👉 ग्रह के पास अपना प्रकाश नहीं होता है।यह सूर्य/तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं तथा ग्रह अपने कक्षा में सूर्य के चक्कर लगाते हैं। ध्रुव तारा 👉 ध्रुव तारा हमेशा उत्तरी ध्रुव पर स्थित रहता है। प्राचीन काल एवं इस वर्तमान काल में भी रात के समय में ध्रुव तारा दिशा पता करने में काम आती है। नक्षत्र मंडल 👉 तारों के समूह द्वारा बनाए गए विभिन्न आकृतियां नक्षत्र मंडल कहलाती है। जैसे अमें यार बिग बियर सप्त ऋषि चंद्रमा 👉 चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 384400 किलोमीटर है। 🌟   नील आर्

नाखून क्यों बढ़ते हैं class 10th Hindi question an answer

हैलो दोस्तों आज के इस पोस्ट मे हम लोग 10th क्लास की हिन्दी के पाठ "नाखून क्यों बढ़ते" है प्रश्न उतर को करने वाले है।  प्रश्न 1. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ? उत्तर - नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने उनसे पूछ दिया। उस दिन से यह प्रश्न लेखक के सोचने का विषय बन गया। प्रश्न 2. 'स्वाधीनता' शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? उत्तर-   लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आज़ादी के जितने भी नाम-करण किये उन में हैं स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता । उनमें स्व का बंधन अवश्य है प्रश्न 3. निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किय है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है ? उत्तर- लेखक ने महात्मा गांधी को बूढ़े के प्रतीक रूप में जिक्र किया हैॽ लेखक की दृष्टि से महात्मा गाँधी के कथनों की सार्थकता उभर कर इस प्रकार आती है- आज मनुष्य में जो पाशविक प्रवृत्ति है उसमें सत्यता, सौंदर्य बोध एवं विश्वसनीयता का लेशमात्र भी स्थान नहीं है। महात्मा गांधी ने समस

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