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महापाषाण काल

महापाषाण काल  नवपाषाण युग की समाप्ति के बाद दक्षिण में जिस संस्कृति का उदय हुआ, उसे महापाषाण काल कहा जाता है। पत्थर की कब्रों को 'महापाषाण' कहा जाता था। इन कब्रों में मानवों को दफनाया जाता था। महापाषाण काल से संबद्ध लोग साधारणतः पहाड़ों की ढलान पर रहते थे। दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्वी भारत तथा कश्मीर में यह प्रथा प्रचलित थी। यहाँ की कब्रों में लोहे के औज़ार, घोड़े के कंकाल तथा पत्थर एवं सोने के गहने भी प्राप्त हुए हैं। महापाषाण काल में आंशिक शवाधान की पद्धति भी प्रचलित थी जिसके तहत शवों को जंगली जानवरों के खाने के लिये छोड़ दिया जाता था। ब्रह्मगिरि, आदिचन्नलूर, मास्की, चिंगलपत्तु, नागार्जुनकोंडा आदि इसके प्रमुख शवाधान केंद्र हैं। महापाषाणकालीन लोग धान के अतिरिक्त रागी की खेती भी करते थे। इतिहासकारों ने महापाषाण काल का निर्धारण 1000 ई. पू. से लेकर प्रथम शताब्दी ई. पू. के बीच किया है। 

रूसी क्रांति का प्रभाव 10th class history

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रूसी क्रांति के प्रभाव रूसी क्रांति के प्रभाव निम्नलिखित हैं। 1.इस क्रांति के पश्चात श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया। 2.रूसी क्रांति के बाद विश्व में विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभाजित हो गया साम्यवादी विश्वा एवं पूंजीवादी विश्व इसके पश्चात यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया पूर्वी यूरोप एवं पश्चिमी यूरोप धर्म सुधार आंदोलन के पश्चात और साम्यवादी क्रांति के पहले यूरोप में वैचारिक आधार पर इस तरह का विभाजन नहीं देखा गया था। 3.द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूंजीवाद विश्व तथा सोवियत रूस के बीच युद्ध की शुरुआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच शास्त्रों की होड़ चलती रही। 4.रूसी क्रांति के पश्चात आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया आगे पूंजीवादी देश ने भी परिवर्तित रूप  में इस मॉडल को अपना लिया इस प्रकार से पूंजीवाद के चरित्र में वे परिवर्तन आ गया। 5.इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने

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